कार्यवाही के बजाय स्कूल से विधार्थियो को निकालने की दी जा रही सलाह

मध्यप्रदेश ।। एक पीड़ित ने जब फोन के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारी को दोषी पाया गया सरायपाली अर्जुंदा के एकलव्य इंग्लिश स्कूल पर कार्यवाही के बारे में पूछा तो जिला शिक्षा अधिकारी ने पीड़ित पालक के ऊपर होने वाले जुर्म में न्याय दिलाने के बजाय पालको को उनके बच्चो को एकलव्य कर दिया। स्कूल से निकालने की सलाह दे दी।

जानकारी के अनुसार एकलव्य विद्यालय में पढ़ने वाले एक छात्र के पिता चक्रधर पटेल बरपेलाडीह ने इस आसय के सांथ जिला शिक्षा अधिकारी को फोन किया कि एक पीड़ित छात्रा को न्याय मिलेगा तो बेटियां आगे बढ़ेंगी लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने बच्चो को दूसरी जगह एड्मिसन करवा लो। जिस स्कूल में बोलेगे उस स्कूल में भर्ती कर दिया जाएगा। इस तरह की सलाह दी गई।

पालक ने जिला शिक्षा अधिकारी के उपर आरोप लगाते हुए कहा की पलक लोग फ़ीस पटाना चाहते हैं लेकिन बिना ऑन लाइन और बिना रसीद के फीस लिया जा रहा है। जिसके कारण स्कूल में भारी भरकम अवैध राशि जमा हो रही है।

बताया जा रहा है कि छात्राओं को स्कूल द्वारा फीस के नाम पर प्रताड किया जाता है लेकिन जब पालक फीस जमा करने पहुंचते है तो उन्हें फीस के बदले रशीद नहीं दिए जाने की बात कही जाती है।

एकलव्य स्कूल पालको और विधार्थियो को नियंत्रक में रखने के लिए और कई प्रकार के हस्तकंडे अपना कर टॉर्चर करता है। जैसे की बच्चो की छड़ी से पिटाई करना बच्चो को चौक चौराहा में उतार देना। एक प्रकार के ये दोनों आरोप में स्कूल दोषी पाया गया है जो की मानसिक और शारारिक प्रताड़ना है।

इसके पहले एकलव्य विद्यालय में भारी शिकायतों पर अचानक छापा मार कार्रवाई करते हुए कई खामियां पाई गईं और कैश काउंटर को सील किया गया था।

एकलव्य विद्यालय में इन खामियों के बाहर आने और दोषी पाए जाने के पालक चक्रधर पटेल ने राष्ट्रीय राज्य बाल अधिकार संरक्षण को शिकायत की थी, जहां आयोग ने संज्ञान लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को 16 अक्टूबर को एक नोटिस जारी करते हुए 7 दिन के अंदर प्रकरण की जांच की थी। वस्तुस्तिथि से कार्यलय को उपलब्ध कराने कहा गया है।

इस नोटिस में यह भी कहा गया था कि यदि स्कूल का जवाब संतोष जनक नहीं होगा तो स्कूल की मान्यता भी रद्द की जा सकती है।

रिपोर्टर

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