भगवान जगन्नाथ भइया बलभद्र व बहन सुभद्रा संग अष्टकोणीय रथ पर रथारूढ़

वाराणसी : भगवान जगन्नाथ शनिवार की भोर सपरिवार भइया बलभद्र व बहन सुभद्रा संग अष्टकोणीय रथ पर रथारूढ़ हुए। भगवान भक्तों को दर्शन दिए और देवोपम रथ पांच डग खींच कर श्रद्धालुगण निहाल हुए।और विह्वल मन से मंगल कामना की गुहार-जुहार लगाई। 'हे नाथों के नाथ स्वामी जगन्नाथ, इन नेत्रों के जरिए हमारे ह्रदय में पधारिए और हमें कृत कृत्य करिए।' जैसे शब्दों से पुरी पुराधिपति की आराधना की और तीन  दिनी लक्खा मेला रथयात्रा का श्रीगणेश हो गया।

मान्यता व लोकाचार के अनुसार स्वास्थ्य लाभ बाद मनफेर के लिए सैरसपाटे पर निकले प्रभु जगन्नाथ परिवार की बेनीराम बाग में भोर तीन बजे पीतांबर झांकी सजाई गई। कमल व बेला के फूलों से श्रृंगारित देवोपम अष्टकोणीय रथ पर देव विग्रहों को विराजमान कराया गया। ठीक 5.11 बजे पुजारी पं. राधेश्याम पांडेय ने मंगला आरती की। पट खुले और इस शुभ बेला के इंतजार में खड़े भक्तों ने जयकार से पूरा क्षेत्र गुंजा दिया। झांकी दर्शन पूजन के लिए सुबह से रात तक श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता रहा।प्रभु के रथ स्पर्श व परिक्रमा कर भक्तों ने भक्ति भाव को प्रगाढ़ किया। मंदिर के आकार के अष्टकोणीय रथ की छतरी व शिखर को प्रणाम किया। इस 14 पहिए वाले 20 फीट चौड़े, 18 फीट लंबे व इतने ही ऊंचे रथ को शिखर तक पूरी भव्यता से सजाया गया।

भक्ति के भाव यह कि पीत श्रृंगार झांकी के दर्शन कर भक्तों ने प्रभु जगन्नाथ को अन्य फूलों के साथ तुलसी दल की माला अर्पित की। पीले रंग की फल मिठाई भी चढ़ाई। इसमें परवल की मिठाई, केशरिया पेड़ा, राजभोग, आम व नानखटाई थी

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