मुंशी प्रेमचंद के गांव लमही में उत्सव

वाराणसी । कलम के सिपाही , मुंशी प्रेमचंद की 138वीं जयंती पर मंगलवार को लमही में उत्सव जैसा माहौल था। मुंशी प्रेमचंद के गांव वाले, उन्हें चाहने वाले इस उत्सव में पूरे मन से शामिल हुए। वाराणसी जिला प्रशासन व प्रबुद्धजनों के सहयोग से क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र की ओर से प्रेमचंद के स्मारक स्थल पर लमही महोत्सव का उद्घाटन कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने किया। मुंशी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। आकर्षण का केंद्र बने रामलीला मंच पर अलग अलग सांस्कृतिक संस्थाओं की ओर से नाटक का मंचन हुआ जिसने पूरे गांव वालों को बांधे रखा।लमही की हवा मंत्र से मिलते ही मुग्ध सी बहने लगी थी और माटी गौरवान्वित सब निहार रही थी। उत्सव हर पल अपनी रौनक दोगुना करने को आतुर दिखा और गांव वाले रोमांचित थे। मौका था, कलम के उस सिपाही के जन्मदिवस का, जिसकी कोरे कागजों पर किस्से कहानियों को ऐसे पिरोया कि हिंदी साहित्य का बेशकीमती हार बन गया। मुंशी प्रेमचंद के प्रति सम्मान प्रकट करना हो तो उनकी कहानियों उपन्यास से बेहतर और भला क्या हो सकता है। कहीं नाटक में गोदान का होरी जी उठा था तो कहीं सामाजिक ताने बाने से बंधी निर्मला का मर्म चित्रों में दिखा। गायन से लेकर प्रदर्शनी तक, हर तरफ उपन्यास सम्राट का ही रूप बोल रहा था। गबन, गोदान, कफन, निर्मला, मंत्र एक दूसरे का हाथ पकड़े मेले में घूम रहे थे और उन्मुक्त सा नाच उठा था लमही|

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