
वंचितों के चेहरों पर मुस्कान लौटाने में ‘सहयोगी’ कर रही सहयोग
- Lalu Yadav, Reporter Jharkhand/Bihar
- Jul 29, 2020
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कटिहार ।। बेहतर पोषण हमेशा से चुनौती रहा है जिसके विरुद्ध समाज और सरकार दोनों प्रयासरत रहे हैं. पोषण एक दिन की बात नहीं यह रोजाना व्यव्हार है. विषम परिस्थितियों में और हासिये पर जीने वाले समुदाय ने समाज को बेहतरी ने कई रस्ते दिखाए हैं और ऐसी ही कहानी है जिले के केवला पंचायत के अंतर्गत बाघरबिल गाँव की 37 वर्षीय रेखिया देवी रोजाना पोषण युक्त हरी सब्जियों का सेवन कर रही है. रेखिया देवी के पति योगेन्द्र ऋषि एक दिहाड़ी मजदूर हैं. बाकी दिहाड़ी मजदूरों की तरह वह महंगी सब्जियों को नहीं खरीद सकते हैं. लेकिन अब वे घर पर ही सब्जियां उगा रहे हैं, जिससे उन्हें हरी सब्जियों के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता है. इन हरी सब्जियों के सेवन के कारण रेखिया देवी कुपोषण से सुपोषण की तरफ भी बढ़ रही है. पहले जहाँ इन्हें हरी सब्जियां रोजाना खाने को उपलब्ध नहीं होता था, अब अतिरिक्त उगायी गयी सब्जियों को वे पड़ोस में वितरित भी करते हैं.
सहयोगी संस्था ने किया सहयोग:
रेखिया के पति योगेन्द्र ऋषि बताते हों कि यह सब ‘सहयोगी संस्था’ के सहयोग से संभव हो सका है. सहयोगी संस्था ने उन्हें स्थनीय स्तर पर उगाई गई सब्जियों के बीज निःशुल्क प्रदान कराया था. साथ ही हरी सब्जियों के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य लाभ के विषय में भी जानकारी दी थी. वह कहते हैं कि यदि सब्जियों के बीज उन्हें नहीं मिलते तो आज वे रोजाना सब्जियों का सेवन नहीं कर पाते. उन्होंने कहा कि निरंतर सब्जियों के सेवन से उनकी पत्नी रेखिया देवी के स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ है. साथ ही उनके पड़ोसी भी इस तरह की कम लागत पर स्वास्थ्य और पोषण सुनिश्चित करने के इस प्रयास को आगे बढ़ाने की इच्छा दिखा रहे हैं.
थोड़े प्रयास से सबके थाली में हरी सब्जी संभव:
सहयोगी के कार्यकारी निदेशक रजनी ने कहा कि हम मुसहर समुदाय के पास न तो जमीन है और न ही सब्जी के लिए हमेशा नकद पैसे होते है क्योंकि ये जायदातर कृषि मजदूर हैं. ऐसे में हमलोगों ने घर के आँगन, छत जैसे छोटी जगह का चुनाव किया जहाँ सिर्फ का बीज बोने के लिए जगह और मिटटी हो. लती को छत पर चढ़ाकर या अगर आगन में जगह हो तो लकड़ी और रस्सी का सहारा देकर इसको विकास करने जगह दें. रेखीय और उस जैसी कई महिलाओं ने यह कर दिखाया है. यह कोई नई बात नहीं बल्कि हमारे दैनिक व्यव्हार का हिस्सा रहा है. बस थोड़े प्रयास की आवश्यकता है अलग अलग परिस्थितियों में इसको करना सिखने की.
बहुत की कम मेहनत से उगाई जा सकती हैं सब्जियां:
लक्ष्मी कान्त ऋषि ने बताया कि सहयोगी संस्था बेहतर सामुदायिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की दिशा में सराहनीय प्रयास किया है. विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से वंचित समुदाय के पोषण स्तर को बेहतर करने में जुटी है. इसको लेकर सहयोगी संस्था समुदायों द्वारा किचन गार्डन और रूफ-टॉप वनस्पति को बढ़ावा दे रही है. साथ ही एनीमिक महिलाओं और कुपोषण से पीड़ित बच्चों के बेहतर पोषण सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है.इसी कड़ी में स्थानीय स्तर पर उगाई गयी हरी सब्जियों एवं फलों के बीज का वितरण सहयोगी संस्था द्वारा वंचित एवं गरीब समुदायों के बीच किया जा रहा है. इन बीजों को बहुत कम मेहनत एवं देखभाल से उगाया जा सकता है.
स्वास्थ्य, पोषण एवं स्वच्छता पर कार्य कर रही ‘सहयोगी’ संस्था:
सहयोगी के संगठनकर्ता रामप्रताप पासवान ने बताया कि आईजीएसएसएस के सहयोग से ‘सहयोगी’ संस्था सुपोषण कार्यक्रम को कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड के 12 गाँवों एवं 7 पंचायतों में कार्यान्वित कर रही है. यह कार्यक्रम मुख रूप से समुदाय के वंचित एवं बहिष्कृत समुदाय के स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता में वांछित सुधार लाते हुए उनकी आजीविका बेहतर करने पर केन्द्रित है. स्वास्थ्य, पोषण एवं स्वच्छता पर चर्चा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके पोषण के लिए बुनियादी संसाधन भी उपलब्ध करा रही है.
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