जानिये यूपी मे सपा को हराने के लिये भाजपा ने किस प्रकार का राजनैतिक चक्रव्यूह बनाया था
- रामसमुझ यादव, ब्यूरो चीफ मुंबई
- Apr 24, 2022
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मुंबई।। भाजपा की रिपोर्ट मे खुलासा हुआ है कि सपा को हराने मे बसपा द्वारा बिछाया गया राजनैतिक चक्रव्यूह मे फंस गई अखिलेश की रणनीति। बसपा ने सपा को हराने के मकसद से यादव और मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान मे उतारा था। जिसका फायदा सिर्फ भाजपा को हुआ। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी की दोबारा जीत में बीएसपी के वोट बैंक का खासा योगदान रहा।यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 273 सीटों पर जीत हासिल हुई है। इस जीत के पीछे क्या फैक्टर था इसकी रिपोर्ट यूपी बीजेपी ने तैयार करके पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बसपा की उम्मीदवार उतारने के पैटर्न से बीजेपी को बहुत मदद मिली। कई ऐसी सीटें रही, जहां बीजेपी की जीत का कारण बीएसपी के प्रत्याशी उतारने का पैटर्न रहा।
बीएसपी के उम्मीदवार पड़े सपा पर भारी - रिपोर्ट के अनुसार 122 सीटों पर बीएसपी ने ऐसे उम्मीदवार खड़े किये, जो समाजवादी पार्टी के लिये घातक सिद्ध हुये। इसे इस तरह से समझ सकते हैं, जैसे सपा के यादव उम्मीदवार के सामने बीएसपी ने यादव को ही प्रत्याशी बनाया, इसी तरह मुस्लिम के सामने मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया। कई अन्य जातियों के प्रत्याशियों के सामने भी बीएसपी ने यही रणनीति बनायी। समाजवादी पार्टी ने जिन 91 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे, वहां से बीएसपी ने भी मुस्लिमों को उम्मीदवार बना दिया। इसी तरह 15 सीटों पर सपा के यादव उम्मीदवारों के सामने यादव प्रत्याशी ही खड़े कर दिये। इन 122 सीटों में से बीजेपी ने 68 सीटें जीतीं ।
सपा-रालोद गठबंधन से बीजेपी को नहीं हुआ नुकसान- सपा-रालोद गठबंधन भी बीजेपी को नुकसान नहीं पहुंचा सका। चुनाव से पहले ये माना जा रहा था कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में सपा-रालोद गठबंधन कुछ अलग ही चमत्कार दिखायेगा। लेकिन यह गठबंधन सफल नहीं हुआ। यहां तक कि किसान आंदोलन का फायदा भी इस गठबंधन को नहीं मिला। रिपोर्ट में बताया गया है कि किसान आंदोलन के असर वाले जिन 30 सीटों पर रालोद चुनाव लड़ी थी, वहां उसे 8 सीटें ही मिल पायी। पश्चिम यूपी में पहले चरण की 58 सीटों में से 46 सीटें बीजेपी को मिली हैं। यहां सपा-रालोद गठबंधन को मनमाफिक फायदा नहीं मिला। हालांकि इन सीटों पर जाट वोट ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में बंट गया। शहरी जाट वोट बीजेपी को मिला तो ग्रामीण वोट रालोद को मिला। बीजेपी ने शहरी क्षेत्र में 17 जाट प्रत्याशी उतारे थे, उनमें से 10 को जीत हासिल हुई थी। जबकि सपा ने 7 प्रत्याशी उतारे और 3 को ही जिता पायी। रालोद के 10 में से 4 प्रत्याशी ही जीत पाये।
सपा का मुस्लिम-यादव फैक्टर इस चुनाव में खूब चला. आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर में सपा को इसका फायदा दिखा। बीजेपी की रिपोर्ट में एक फैक्टर यह भी है कि सपा सवर्ण वोट इस बार अच्छा मिला है। सपा ने जहां से सवर्ण उम्मीदवार को टिकट दिया, वहां उस जाति का सवर्ण वोट समाजवादी पार्टी को मिला था।
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