जन्म से कमजोर बच्चों को पोषित करने की दिशा में पोषण पुनर्वास केंद्र निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका

- आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी केंद्र की सेविकाएं जन्म से कमजोर बच्चों की करती हैं पहचान

- कुपोषित बच्चों की पहचान कर पीएचसी से रेफर कराकर एनआरसी में किया जाता है इलाज

बक्सर ।। जिले से कुपोषण को पूरी तरह से मिटाने के लिए स्वास्थ्य समिति और आईसीडीएस विभाग अपने अपने स्तर पर कार्य कर रहा है। उसके बावजूद भी सुदूर ग्रामीण इलाकों में बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। जिसको दूर करने के लिए फ्रंट लाइन वर्कर्स नियमित रूप से गृह भ्रमण कर कुपोषित बच्चों की पहचान करते हैं। जिसके बाद उन कुपोषित बच्चों को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराने के बाद पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में इलाज के लिए रेफर किया जाता है। जहां पर उन कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है। ऐसे में कुपोषण को दूर करने के लिए एनआरसी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।

गृह भ्रमण के दौरान की जाती है नवजात बच्चों की निगरानी :

आंगनबाड़ी केंद्रों पर नवजात बच्चों के साथ अन्य बच्चों की समय समय पर आयु के हिसाब से वजन व लंबाई की मापी की जाती है। ताकि, उनमें कुपोषण के लक्षणों की जांच हो सके। यदि नवजात शिशु अधिक दुबला-पतला होता है, तो उसे जांच के लिए पीएचसी ले जाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशाएं संस्थागत एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में गृह भ्रमण कर नवजात शिशु की देखभाल करती हैं। संस्थागत प्रसव की स्थिति में 6 बार गृह भ्रमण करती हैं( जन्म के 3, 7,14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर)। वहीं, गृह प्रसव की स्थिति में 7 बार ( जन्म के 1, 3, 7,14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर) गृह भ्रमण करती हैं। इस दौरान कुपोषित शिशुओं को चिह्नित करते हुए उनको एनआरसी में रेफर कराया जाता है।

14 से 30 दिनों तक बच्चों का होता है नि:शुल्क इलाज :

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव ने बताया, जन्म से कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए सदर अस्पताल में एनआरसी स्थापित किया गया है। जहां पर पांच वर्ष तक के कुपोषित बच्चों का इलाज होता है। यदि 14 दिनों में कोई इलाजरत बच्चा कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाता है, तो उनको एक माह तक विशेष देखभाल की जाती है। उनके लिए इलाज व स्पेशल डाइट में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज तत्व युक्त भोजन आहार विशेषज्ञ द्वारा तैयार किया जाता है। यह आहार शुरुआती दौर में 2-2 घंटे बाद दिया जाता है। यहां मिलने वाली सभी सुविधाएं नि:शुल्क होती हैं। भर्ती हुए बच्चे के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही डिस्चार्ज किया जाता है। जिसके बाद बच्चे का 4 बार फॉलोअप किया जाता है।

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