शासन की बातें झूठी, दावे के बाद भी सड़कें टूटीं

बनारस । पहले मानसून का बहाना। फिर 15 अक्तूबर से सड़कों की मरम्मत शुरू कराने का झूठा दावा। लोगों की समस्याओं के प्रति बनारस का प्रशासन किस कदर लापरवाह है। यह इसकी बानगी है। टूटी सड़कों के गड्ढों में दोपहिया वाहनों से गिरकर आए दिन चोटिल होते लोग। इन पर उड़ती धूल लोगों को बीमार कर रही है। चार महीने से शहर में ऐसी ही हालत है और अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।             

लोक निर्माण विभाग के पास 14 और नगर निगम के पास 8 सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी है। अधिकांश सड़कें बारिश से पहले ही जगह-जगह से टूट गई थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सड़कों की खराब हालत पर अधिकारियों को फटकार लगाई थी। तब मानसून के बाद 15 अक्तूबर से सड़कों का निर्माण शुरू करा देने का दावा किया गया था।

सूत्रों के अनुसार स्थिति यह है कि सड़कों की मरम्मत के लिए अभी तक निविदा प्रक्रिया तक शुरू नहीं की गई है। हालांकि प्रवासी भारतीय सम्मेलन के मद्देनजर अग्रिम बजट तक की व्यवस्था कर दी गई है। जनवरी के तीसरे सप्ताह में प्रवासी भारतीय सम्मेलन होना है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि सड़कों की मरम्मत का काम जनवरी तक खिंच सकता है।कैंट से लंका, सिगरा से महमूरगंज, मंडुवाडीह से रथयात्रा, गिरजाघर से लहुराबीर, चेतगंज से बेनियाबाग, बेनियाबाग से पियरी, औरंगाबाद से लक्सा, सिगरा से लल्लापुरा, मंडुवाडीह से चांदपुर, पांडेयपुर से सारनाथ की सड़कों की हालत काफी खराब है।वाराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि लोक निर्माण विभाग, नगर निगम और विकास प्राधिकरण सहित अन्य विभागों से सड़कों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है। सड़कों की मरम्मत इसी सप्ताह से शुरू कराई जाएगी और इसकी मॉनिटरिंग के लिए अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।

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