जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए गर्भवती महिलाओं को किया गया जागरूक

- जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोदभराई की पूरी की गई रस्म, विश्व स्तनपान सप्ताह का हुआ समापन

- पुरुषों को बच्चे की माता की देखभाल करने व माता को बच्चे के साथ अधिक समय व्यतीत करने की दी गई सलाह


आरा ।। शिशुओं के स्वस्थ जन्म के लिए माताओं को गर्भावस्था के दौरान बेहतर पोषण का ख्याल रखना जरूरी है। इसके लिए समय समय पर आंगनबाड़ी केंद्रों पर गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में सोमवार को जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोदभराई का आयोजन किया गया। ताकि, गर्भवती माताओं को प्रसव के दौरान और प्रसव उपरांत बरती जाने वाली सावधानियों के साथ पोषण की उचित जानकारी दी जा सके। वहीं, इस दौरान विश्व स्तनपान सप्ताह का भी समापन किया गया। एक से सात अगस्त तक जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया गया था। रविवार के कारण समापन समारोह सोमवार को आयोजित  किया गया । पूरे सप्ताह लाभार्थी महिलाओं को मुख्य रूप से शिशु के जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पहला गाढ़ा दूध पिलाने, छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना, कंगारू मदर केयर एवं गृह आधारित नवजात की देखभाल के बारे में जागरूक और प्रेरित किया गया। जिससे जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहे ।

आंगनबाड़ी केंद्रों पर चलाया गया विशेष अभियान :

आईसीडीएस की जिला प्रोग्राम पदाधिकारी माला कुमारी ने बताया, इस वर्ष स्तनपान सप्ताह के दौरान सभी गतिविधियां 'स्तनपान शिक्षा और सहयोग के लिए बढ़ाएं कदम' थीम पर निर्धारित की गई थी। इस दौरान सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्तनपान प्रोत्साहन से जुड़ी जन-जागरुक गतिविधियां आयोजित हुईं। जिसमें एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम रही। उन्होंने बताया कि शिशु के सर्वांगीण विकास में स्तनपान का खास योगदान है। महिलाओं को तीन प्रमुख बातों के संबंध में जानकारी दी गई। जिसमें पहला यह है कि जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला गाढ़ा दूध पिलाना, दूसरा छह माह तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराना और तीसरा दो वर्ष तक बच्चे को पूरक आहार के साथ स्तनपान कराना और दो वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखना हैं। साथ ही, पुरुषों को पिता द्वारा बच्चे की माता की देखभाल करना, माता को बच्चे के साथ अधिक समय व्यतीत करने व उचित तरीके से स्तनपान कराने प्रोत्साहित करने पर भी बल दिया गया।

नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए स्तनपान जरूरी :

राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक पियुष पराग यादव ने बताया कि स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है। वहीं जिन शिशुओं को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है, उनमें नवजात मृत्युदर की संभावना 33 फीसदी अधिक होती है। उन्होंने कहा कि नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान प्रारंभ करें। वहीं, इस अभियान के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर सभी धातृ महिलाओं और परिजनों को जन्म के पहले घंटे के अंदर और छह माह तक सिर्फ स्तनपान के लिए जागरूक और प्रेरित कर रही हैं। साथ ही, कोविड के मद्देनजर साफ-सफाई, हाथ धोना, दूध पिलाते समय नाक और मुंह पर मास्क लगाने जैसी बातों का विशेष ख्याल रखने के संबंध में भी जागरूक कर रही हैं।

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