सरकार की चापलूसी में मनपा की दोहरी भूमिका, किसी पर कार्यवाही तो हजारों को अभयदान

मनपा के पास अनाधिकृत होर्डिंग्स के कोई आंकड़े उपलब्ध नही


कल्याण : कल्याण डोंबिवली मनपा अपने अजीबोगरीब कारनामों से हमेशा चर्चा में रहती है दो दिन पूर्व ही मनपा द्वारा सरकार की चापलूसी करते हुए दो लोगों पर बैनर लगाकर शहर के सौंदर्य को बिगाड़ने का मामला दर्ज किया गया वहीं शहर में हजारों की तादाद में लगे हुए बैनर जो शहर का सौंदर्य बिगाड़ रहे हैं वह शिकायत के बाद भी उन्हें नही दिखता यही नही शहर में जगह जगह लगी बड़ी बड़ी अनाधिकृत होर्डिंग्स भी मनपा को मुंह चिढ़ाती है लेकिन यह कल्याण डोंबिवली मनपा है इसे कोई फर्क नही पड़ता। अधिकारी जानबूझकर राजस्व का घाटा कर रहे हैं।


शिवसेना नेता विजय सालवी तथा सचिन बासरे द्वारा सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कुछ बैनर लगाए गए थे, जिस पर सत्ता पक्ष की चापलूसी करते हुए कल्याण डोंबिवली मनपा नें तुरंत कार्यवाही करते हुए बाजारपेठ पुलिस तथा महात्मा फुले पुलिस स्टेशन में महाराष्ट्र मालमत्ता विरूपण प्रतिबंध अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत मामला दर्ज करा दिया। हालांकि इस धारा के तहत मामला दर्ज कराने में कोई दिक्कत की बात नही है लेकिन क्या शहर में पहली बार बैनर लगाए गए हैं जो इस धारा के तहत कार्यवाही की गई ? क्या शहर में अन्य जगहों पर बैनर नही लगे हैं ? यदि लगे हैं तो अब तक कितने लोगों पर मामला मनपा द्वारा दर्ज कराया गया है ? इन सब का जबाब देने में मनपा चुप्पी साध लेगी यह सुनिश्चित है। सालों पहले मनपा में अवैध होर्डिंग्स की शिकायतों पर अब तक कोई कार्यवाही नही हो रही तो मनपा सरकार के विरोध में लगाए गए बैनर पर इतनी सजग कैसे हो गई? इस सवाल का जबाब है कि इसकी वजह है सत्ता पक्ष की चापलूसी।


मनपा द्वारा जिस धारा के तहत शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं पर मामला दर्ज कराया गया है वही धारा यह कहती है कि शहर में बैनर लगाने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए तथा इसके लिए तीन माह की सजा या दो हजार रुपए दंड का प्राविधान है। शहर में लगे बैनरों के अनुपात में अब तक कितना दंड मनपा नें इस धारा के तहत मनपा के कोष में जमा किया है या सजा दिलाई है इसे बताने में असफल साबित होगी। शहर में कई हजार की संख्या में बैनर लगे हैं मनपा मुख्यालय से निकलते ही बैनर दिखने शुरू हो जाएंगे लेकिन वह उन्हें नही दिख रहे हैं। जबकि अनुमति के द्वारा यदि बैनर लगाए जाएं तो जरूर मनपा के कोष में कुछ धन अर्जन ही होगा लेकिन इसे नजरअंदाज किया जाता है। मनपा यदि अपनी कार्यशैली नही बदलती तो आलोचना का शिकार होना पड़ेगा।


मनपा के विभिन्न प्रभागों में मनुष्य बल का प्रयोग कर बैनर उतारने का काम किया जाता है तथा यही बैनर उतारकर सहायक आयुक्त वाहवाही लूटने की कोशिश करते हैं लेकिन किसी पर भी मामला दर्ज करने या उनसे दंड वसूल करने से कतराते हैं। लेकिन राजनैतिक उठापटक में मनपा अपने को भी सत्ता पक्ष का सहयोगी साबित करने की कोशिश में है जिसकी वजह से शिवसेना के दो नेताओं पर मामला दर्ज कराया गया है।26 जून को तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त सुनील पवार नें संवाददाता को यह बताया था कि मनपा अब बैनर पोस्टर लगाने वालों पर निरंतर कार्यवाही करेगी लेकिन हजारों बैनर अब भी तनकर मनपा को मुंह चिढ़ाते दिख रहे हैं।

क्या कहता है बैनर पोस्टर पर हाईकोर्ट का आदेश और क्या करती है मनपा : 2017 में बैनर पोस्टर पर दाखिल एक जनहित याचिका पर अपना फैसला देते हुए मुंबई उच्च न्यायालय नें यह स्पष्ट किया है कि शहर में अनाधिकृत रूप से लगे बैनर पोस्टर, होर्डिंग्स पर तिमाही रिपोर्ट प्रस्तुत करना है जिसका पालन करते हुए तत्कालीन अबानि उपायुक्त नें 19 अप्रैल 2017 को सभी प्रभाग क्षेत्र के आयुक्तों को सूचना जारी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था लेकिन अब तक सभी मौन हैं तथा हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।

वहीं मनपा के मालमत्ता विभाग में ऐसा कोई आंकड़ा उपलब्ध नही है जो यह बता सकें कि मनपा क्षेत्र में कितने अनाधिकृत बैनर लगे हैं। यही नही फिक्स होर्डिंग्स जो सालाना लाखों कमा रही हैं वह कितने अनाधिकृत हैं इसकी भी जानकारी उपलब्ध नही है। यह पूंछे जाने पर की इस पर कार्यवाही करने का अधिकार किसके पास है तो जबाब दिया गया कि सिर्फ वार्ड ऑफिसर ही अनाधिकृत बैनर, पोस्टर होर्डिंग्स पर कार्यवाही कर सकता है। हाइकोर्ट के निर्देशानुसार तिमाही रिपोर्ट बनाई जानी चाहिए लेकिन अब तक कोई आँकडे मनपा के पास उपलब्ध नही हैं जो यह साबित करता है कि मनपा अपने काम के प्रति कितना सचेत है, हाँ चापलूसी में सजग है यह जरूर साबित हो रहा है।

रिपोर्टर

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