संभावित सुखाड़ एवं उससे उत्पन्न होने वाली बिमारियों की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश जारी
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Apr 11, 2023
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आरा ।। सुखाड़ का प्रभाव आर्थिक, पर्यावरण एवं जनमानस के स्वास्थ्य पर पड़ता है जिससे कई तरह की बीमारियाँ फैलती हैं. सुखाड़ के समय होने वाली बिमारियों एवं स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के रोकथाम के लिए आवश्यक है कि पहले से ही प्रभावकारी कदम उठाये जाएँ जिससे की बिमारियों का फैलाव न हो और ऐसा होने पर उसका समुचित प्रबंधन एवं नियंत्रण किया जा सके. जिला सहित राज्य में सुखाड़ की संभावित स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रत्यय अमृत ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशानिर्देश दिए हैं.
पोषाहार कैंप किया जायेगा संचालित:
जारी पत्र में बताया गया है कि बच्चे, धात्री एवं गर्भवती महिलाएं तथा वृद्धजनों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है. प्रभावित जनसँख्या पोषाहार की कमी से अत्यधिक प्रभावित होती है और इसके लिए आवश्यकतानुसार प्रभावित जगह पर पोषाहार कैंप की स्थापना की जाये. जारी पत्र में निर्देशित है कि सुखाड़ के दौरान कीट जनित बिमारियों की रोकथाम के लिए प्रभावित क्षेत्रों में डी.डी.टी. का छिड़काव एवं फांगिंग सुनिश्चित करना जिला मलेरिया पदाधिकारी की जिम्मेदारी होगी.
दवाओं की उपलब्धता होगी सुनिश्चित:
जारी पत्र में बताया गया है कि सुखाड़ प्रभावित क्षेत्रों में सभी जरुरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी. सुखाड़ की स्थिति में सामान्यतः जलजनित, वेक्टर बोर्न, श्वास संबंधी, मानसिक बीमारियाँ, चर्म रोग, संक्रामक बीमारी की दवाएं सहित बिमारियों के लिए कुल 14 तरह की दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा सुखाड़ प्रभावित क्षेत्रों में डायरिया आदि की रोकथाम के लिए ओ.आर.एस. एवं एंटीडायरिअल दवाओं की पर्याप्त मात्रा के साथ ब्लीचिंग पाउडर, हैलोजन टेबलेट आदि का भंडारण सुनिश्चित किया जाये.
होगी अस्थायी अस्पताल की व्यवस्था:
जारी निर्देश में बताया गया है कि जिन क्षेत्रों में महामारी फैली हो और आक्रांतों की संख्या ज्यादा हो वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/ स्वास्थ्य उप केंद्र, स्कूल, पंचायत भवन आदि में अस्थायी अस्पताल खोला जाए. उक्त जगह पर यह अस्थायी अस्पताल तब तक क्रियाशील रहेंगे जब तक महामारी पर नियंत्रण नहीं हो जाता है और वहां पर सभी कर्मचारी अस्थायी रूप से कार्यरत रहेंगे. साथ ही सुखाड़ की स्थिति में जिला स्तर पर उन जिलों में प्रभावित जगहों के आधार पर चिकित्सा दलों का गठन किया जायेगा जिसमे चिकित्सा पदाधिकारी / स्वच्छता निरीक्षक / परिचारिका एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी सिविल सर्जन द्वारा नमित किये जायेंगे एवं प्रभावित स्थलों पर आवश्यकतानुसार सिविल सर्जन के द्वारा भेजे जायेंगे.
प्रशासनिक स्तर पर भी होगी व्यवस्था:
क्षेत्रीय अपर निदेशक / सिविल सर्जन / अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी / प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र महामारी के समय प्रभावित क्षेत्रों का सघन भ्रमण एवं स्वास्थ्य संबंधी किये जा रहे कार्यों का निरिक्षण एवं समीक्षा करते रहेंगे और इसके नियंत्रण हेतु प्रमंडलीय आयुक्त / जिलाधिकारी से सहयोग प्राप्त करेंगे. सुखाड़ से उत्पन्न बिमारियों के संबंध में सिविल सर्जन की जिम्मेदारी होगी कि वह जिलाधिकारी से सूचना प्राप्त कर गठित चिकित्सा दल को उस स्थान पर आवश्यक उपचार के लिए भेजेंगे. जिलाधिकारी / सिविल सर्जन को यह अधिकार होगा कि चिकित्सा पदाधिकारी / स्वास्थ्य कर्मियों को अप्रभावित जगह से हटाकर प्रभावित जगहों पर सुखाड़ से उत्पन्न बिमारियों की रोकथाम के लिए प्रतिनियुक्त करेंगे.
चलंत पैथोलॉजिकल दल का होगा गठन:
चिकित्सा संस्थान / सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में चलंत पैथोलॉजिकल टीम गठित की जाएगी जो नजदीकी जिलों में सुखाड़ के समय महामारी की स्थिति में आवश्यक कार्यवाही करेगी.
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