तेरहवीं रैंक लाकर आईएएस बनी अयोध्या की विदुषी सिंह, जनपद का नाम किया रोशन

अयोध्या ।। संघ लोक सेवा आयोग की 2022 परीक्षा के फाइनल में शहर के मोदहा जेबीपुरम निवासी विदुषी ने पहले ही प्रयास में आल इण्डिया रैंकिंग में 13 वां स्थान हासिल किया है। जिसके चलते उसकी देश सेवा में जाने की चाह पूरी हो गई है। विदुषी ने अपनी मेहनत और दृढ इच्छा से न केवल अपनी साध पूरी की है, बल्कि बाबा के सपने को भी साकार किया है। परिणाम की जानकारी के बाद परिवार में हर्ष का माहौल है और बधाइयों का तांता लगा हुआ है।

भारतीय वायुसेवा के रिटायर्ड अधिकारी और वर्तमान में एसडीओ के पद पर पड़ोसी जनपद अंबेडकरनगर के टांडा में तैनात इं• दीपेंद्र प्रताप सिंह और बेसिक शिक्षा परिषद् में प्रधानाध्यापिका के पद पर तैनात डा प्रीति सिंह की पुत्री विदुषी सिंह ने वर्ष 2008 में जेबी एकेडमी से इंटर उत्तीर्ण होने के बाद कामर्स की पढ़ाई के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कालेज आफ कामर्स में प्रवेश लिया। 

यूपीएससी की परीक्षा के लिए निर्धारित आयु पूरी करने के बाद पहली बार सिविल सेवा की परीक्षा दी और अपने नाम के अनुरूप विद्वता का प्रदर्शन करते हुए सफलता अपने नाम कर ली।

विदुषी का परिवार मूल रूप से जिले के बीकापुर तहसील क्षेत्र स्थित प्रतापपुर उर्फ बरहपुर की निवासी है और इनके बाबा स्व.धीरेन्द्र प्रताप सिंह भी शिक्षक थे। जबकि इनकी बड़ी बहन यूनाइटेड स्टेट में मास्टर आफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई कर रही हैं।

इंटर की परीक्षा में जिले में दूसरी रैंक हासिल करने वाली विदुषी का कहना है कि बचपन से ही बाबा कहा करते थे कि पोती कलेक्टर बनेगी। यह कहते ही उसकी आँखों में आंसू आ जाता है और गला रूध जाता है, रुधे गले से वह बताती है कि इंटरव्यू का लेटर आया था तो बाबा को बहुत ख़ुशी हुई थी।

उन्होंने सर पर हाथ फेरते हुए फिर से वही पुरानी बात दोहराई थी, लेकिन तीन माह पूर्व उनका निधन हो गया। उसकी सफलता में सबसे ज्यादा श्रेय बाबा के आशीर्वाद तथा पीएचडी होल्डर होने के बावजूद हम लोगों के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने में अध्यापन के साथ यहीं पर रहकर घर-परिवार का ध्यान रखने वाली मां के अलावा हमेशा उत्साहवर्धन करने और हर सुख-सुविधा का ध्यान रखने वाले पिता को है।

विदुषी का कहना है कि पिता के एयरफोर्स में होने के चलते वह बचपन से ही देश के साथ दुनिया में सोचती रहती थी और इसी के चलते उसने भारतीय विदेश सेवा का विकल्प चुना था।

रिपोर्टर

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