प्रसिद्ध लोटा भंटा मेला 28 नवंबर को

वाराणसी:   आस्था का प्रतीक रामेश्वर धाम का लोटा-भंटा मेला इस बार 28 नवंबर को लगेगा। यहां भोले शिव का पूजन-अर्चन कर पुत्र की मन्नतें मांगने के लिए लोग आते हैं।

तीर्थ मान्यताओं के आधार पर भारत में जो स्थान दक्षिण में रामेश्वरम का, काशी में विश्वनाथ मंदिर का, प्रयाग में कुंभ तथा त्रिवेणी संगम का है, उसी तरह पंचक्रोशी तीर्थ यात्रा का तीसरा पड़ाव स्थल रामेश्वर का भी महत्व है। पौराणिक गाथाओं के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व एक युवा दंपति ने नि:सन्तान जीवन से ऊबकर वैराग्य धारण कर लिया था।
उन्होंने रामेश्वर मंदिर तीर्थ स्थल पर अगहन माह में कृष्ण पक्ष के छठे के दिन रात्रि विश्राम कर भोले शिव का पूजन-अर्चन कर पुत्र की मन्नतें मांगी थी। भोले शिव के आशीर्वाद से दंपति को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
देश के कोने-कोने से पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए लोग लोटा भंटा के मेले में आकर भोले शिव को बाटी चोखा का प्रसाद चढ़ाकर उसे ग्रहण करते हैं। कहा जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने रावण बध के बाद प्रायश्चित करने काशी आये और पंचक्रोशी के इस बरुणा तट पर एक मुट्ठी रेत से शिवलिंग की स्थापना किया था तभी रामेश्वर तीर्थ स्थल का महत्व बढ़ गया।विष्णु के दाहिने चरण के अंगूठे से निकली आदि गंगा मां वरुणा नदी में भक्त डुबकी लगाते हैं। महाभारत काल में पांडवों द्वारा यात्रा के दौरान प्रवास स्थल पंच शिवाला के दर्शन के लिए लोग सरोवर के जल के साथ पहुंचते हैं।

लोटा-भंटा मेला दो थाना क्षेत्र बड़ागांव व जंसा में 10 किमी की परिधि में लगता है। राधा-कृष्ण मंदिर के महंत मद्रासी बाबा, पुजारी अन्नू तिवारी ने प्रशासन से इस बार कृषि प्रदर्शनी, पशु प्रदर्शनी, विकास योजना व धार्मिंक प्रदर्शनी सहित अन्य सुविधाओं की मांग की है। 

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