मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक क्षमता को भी प्रभावित करता है एनीमिया
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Feb 28, 2024
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आयरन की कमी से हीमोग्लोबिन बनना कम
- गर्भवतियों को नियमित हीमोग्लोबिन समेत अन्य जांच जरुरी
बक्सर ।। कुपोषण से लड़ने की राह में एनीमिया एक गंभीर बाधा के रूप में उभरी है। खासकर महिलाएं और प्रसूताओं को इस बीमारी से ज्यादा परेशानी हो रही है। थोड़ी सी भी लापरवाही जान को जोखिम में डाल सकती है। इसलिए लोगों को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। व्यक्ति के शरीर में आयरन की कमी के कारण जब हीमोग्लोबिन का बनना सामान्य से कम हो जाता है, तब शरीर में खून की कमी होने लगती है। इस स्थिति को ही एनीमिया कहा जाता है। इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जीवनशैली में बदलाव और आयरनयुक्त आहार का सेवन करने की जरूरत है। इससे काफी हद तक एनीमिया के प्रकोप में आने से बचा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग केंद्र सरकार द्वारा संचालित एनीमिया मुक्त भारत योजना को प्रभावी बनाने के प्रयासों में जुट गया है।
रक्त का निर्माण नहीं के कारण एनीमिया होने की प्रबल संभावना :
सदर एमओआईसी डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया, गर्भवती महिलाओं के गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए शरीर में रक्त का निर्माण होते रहना जरूरी होता है। इसमें कमी के कारण एनीमिया होने की प्रबल संभावना रहती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को नियमित हीमोग्लोबिन समेत अन्य आवश्यक जांच कराते रहना चाहिए। चिकित्सकों के मुताबिक वैसे तो बच्चों से लेकर बड़ों तक हर उम्र के लोग एनीमिया ग्रस्त हो जाते हैं, लेकिन किशोरावस्था, प्रसव के बाद और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में यह समस्या अधिक देखी जाती है। आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब शरीर में लाल रक्त कणों की कोशिकाओं के नष्ट होने की दर उनके निर्माण की दर से अधिक होती है।
यह बीमारी किसी को भी प्रभावित कर सकती है :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह डीएमओ डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। ये लोगों के शारीरिक व मानसिक क्षमता को प्रभावित करता है। यह आयरन की कमी से होने वाली एक गंभीर बीमारी है। इसलिए, इस स्थिति का उचित निदान और उपचार करने के लिए एनीमिया के कारणों और लक्षणों के बारे में जागरूक होना महत्वपूर्ण है। शीघ्र पता लगाने और उपचार करने से स्थिति को बिगड़ने या अन्य स्वास्थ्य परेशानियों को होने से रोका जा सकता है। उन्होंने गर्भवतियों के लिए सुझाव दिया कि यदि उन्हें संदेह है कि वो एनीमिया से पीड़ित हैं, तो उचित निदान और उपचार योजना के लिए डॉक्टर से मिलें। सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में एनीमिया की जांच की जाती है और उचित निदान और उपचार उपलब्ध कराई जाती है।
डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा व खानपान लें :
बीसीएम प्रिंस कुमार सिंह ने बताया, एनीमिया का शुरुआती लक्षण थकान, कमजोरी, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन में बदलाव, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द होना, हाथों और पैरों का ठंडा होना, सिरदर्द आदि हैं। ऐसे लक्षण अगर आपको दिखाई दे तो तत्काल अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाएं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा और खानपान लें। एनीमिया के दौरान प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करें जो कि आपके शरीर में खून की कमी को पूरा करता है। इन चीजों का सेवन करते रहने से आप एनीमिया की चपेट में आने से बच सकते हैं।
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