व्यक्ति को कर्मों का फल भोगना हीं पड़ता है, अभिमान त्याग ईश्वर की शरण जाने से होता है कल्याण - श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी

कैमूर।। प्रख्यात श्रीवैष्णव परिव्राजक संत श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी जी ने कैमूर के हरला में आयोजित श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ में श्रद्धालुओं को संबोधित अपने प्रवचन में कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपने कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है। अभिमान और अहंकार त्याग प्रभु की शरण जाने से प्रकोप कम होता है और व्यक्ति की रक्षा होती है।

प्रवचन के दूसरे दिन मानव जीवन में धर्म और सत्कर्म की प्रधानता का विवेचन करते हुए पूज्य स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य अपने अहंकार और अभिमान के वश होकर धर्मशास्त्रों, ऋषियों और गुरुजनों के द्वारा सफल जीवन के लिए निर्धारित मानदण्डों का उल्लंघन करता है। जिसका अत्यंत घातक प्रभाव होता है। सारी भौतिक सुख ऐश्वर्य उपलब्ध होने के बावजूद उसे अशांति और अनिष्ट का सामना करना पड़ता है। घर परिवार में सदाचार, शिष्टाचार और अनुशासन समाप्त हो जाने के फलस्वरूप समस्त ऐश्वर्य और फिर जीवन हीं निरर्थक हो जाता है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि परम प्रतापी रावण, कंस, दुर्योधन यहां तक कि द्रौपदी को भी कर्मों का फल भोगना हीं पड़ा। इससे कोई नहीं बच सकता है। कर्मफल के दुष्प्रभाव से रक्षा का एकमात्र उपाय ईश्वर की शरणागति और सत्कर्म हीं है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि शास्त्रों और गुरु की आज्ञा के अनुसार सत्कर्म करने पर प्रारब्ध में परिवर्तन संभव है।

उन्होंने कहा कि मन हीं मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है। मन के संयम से सभी समस्याओं और बाधाओं का शमन होता है।

प्रभु की कृपा से धन और संसाधनों में वृद्धि हो तो उसी अनुपात में धर्म और संस्कार में भी वृद्धि होनी चाहिए।

स्वामी जी के पूर्व काशी पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानुजाचार्य श्रीशिवपूजन शास्त्री जी जी ने ज्योतिष शास्त्र से प्रभु की प्राप्ति की प्रक्रिया का विद्वतापूर्ण विवेचन करते हुए अपने निजी अनुभवों का वर्णन करते हुए लोगों से धर्ममय जीवन अपनाने का आह्वान किया। 

श्रीलक्ष्मी-नृसिंह मंदिर वाराणसी के युवराज श्री मुक्तिनाथ स्वामी जी महाराज ने शास्त्रीय एवं‌ लौकिक उद्धरणों के माध्यम से सफल मानव जीवन के सूत्रों के बारे में बताया।

प्रवचन में स्वामी जी के परमशिष्य प्रोफेसर श्याम सुंदर दूबे, पूर्व विधायक श्रीमती रिंकी रानी पाण्डेय, आयोजन समिति अध्यक्ष बलदाऊ जी पाठक, सचिव मदन उपाध्याय, कोषाध्यक्ष बाल मुकुंद पाठक, स्वयंसेवक कुंदन पाठक, सुनील पाठक, चंद्रेश्वर पाठक, संदीप पाठक, रेडक्रास सचिव प्रसून कुमार मिश्र, परशुराम तिवारी,  जितेन्द्र उपाध्याय, हरेराम ओझा, अनिल तिवारी, दिवाकर तिवारी, डाक्टर अरविन्द द्विवेदी, सुधाकर द्विवेदी, जय प्रकाश द्विवेदी आदि श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे।

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