भिवंडी पूर्व विधानसभा चुनाव में 'मिर्ची' की चुनौती

'तुतारी' सपा उम्मीदवार के लिए बन रही है मुश्किल

भिवंडी।  भिवंडी पूर्व विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) के मौजूदा विधायक और उम्मीदवार रईस कासम शेख को इस बार अपने ही क्षेत्र में बगावत का सामना करना पड़ रहा है। निर्दलीय उम्मीदवार हाजी इस्माइल मोहम्मद युसुफ रंगरेज, जिन्हें इलाके में ‘मिर्ची’ के नाम से जाना जाता है। अब सपा उम्मीदवार शेख के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर रहे है। मिर्ची के चुनाव में उतरने से सपा को बड़ा नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।

इस्माइल मिर्ची, जो पहले कांग्रेस के नगरसेवक रह चुके है, ने विधायक शेख के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन पर कई गंभीर आरोप लगाए है। मिर्ची का कहना है कि पिछले पाँच वर्षों में उनके वार्ड में विकास कार्य जानबूझकर रोके गए, जिसके कारण इलाके के मतदाताओं में आक्रोश पनप रहा है। यही कारण है कि स्थानीय जनता का एक बड़ा तबका अब मिर्ची के साथ खड़ा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस्माइल मिर्ची की उम्मीदवारी से सपा उम्मीदवार को कम से कम 10-15 हजार वोटों का नुकसान हो सकता है। यह आंकड़ा सपा के हारने और जीतने के बीच का फ़र्क़ साबित हो सकता है, जो कि इस बार की चुनावी दौड़ को बेहद रोचक और कठिन बना रहा है।

गौरतलब है कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में मिर्ची ने कांग्रेस के नगरसेवक होने के बावजूद रईस शेख का समर्थन किया था। लेकिन चुनाव के बाद रिश्तों में कड़वाहट आने के कारण मिर्ची के वार्ड में विकास कार्य जानबूझकर बाधित किए गए। इससे आहत होकर मिर्ची ने अब निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

सपा के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाकर मिर्ची ने महाविकास आघाडी गठबंधन में एक नई दरार डाल दी है। कांग्रेस जो पहले से ही सपा से नाराज़ चल रही है, अब इस नई स्थिति से और असंतुष्ट हो सकती है। उधर, स्थानीय सपा कार्यकर्ताओं में भी असमंजस और बिखराव का माहौल पैदा हो गया है। क्योंकि उनमें से कुछ मिर्ची का समर्थन कर रहे हैं।

इस चुनावी जंग में जनता के बीच चर्चाएँ गरम हैं कि मिर्ची की उम्मीदवारी इस बार सपा उम्मीदवार के लिए भारी पड़ सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि मिर्ची के समर्थन में उठ रही लहर ने भिवंडी पूर्व सीट पर सपा की राह को और भी मुश्किल कर दिया है, और रईस शेख की सीट पर संकट के बादल मंडरा रहे है।

रिपोर्टर

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