
राष्ट्र वादी कानून बनाओ,राष्ट्रवादी बनो, जातिवादी नहीं
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- May 01, 2025
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संवाददाता श्याम सुंदर पाण्डेय की रिपोर्ट
दुर्गावती(कैमूर)-- देश में राष्ट्रवाद पर आधारित कानून यदि बने हुए होते तो आज देश में जात पात की बू नहीं आती न जात पात को बढ़ावा मिलता न हीं जात पात-वादी नेता पैदा हुए होते। यह सब वोट प्राप्त करने के लिए जो जात-पात पर आधारित कानून बनाया गया उसका ही परिणाम है कि जात पात आधारित राजनीति हो रही है और समाज में जातीयता का नफरत पैदा हो गया है। गरीबों के लिए जो आरक्षण का कानून देश में बनाए गए वह गरीबों का पैमाना जात पात पर बनाने से बिल्कुल प्रभावित हुआ, कहीं खुशी मिली तो कहीं गम, में लोग प्रभावित हुए यदि उसे गरीबी और अमीरी का आधार बना दिया गया होता तो आज यह दिन देखने को नहीं मिलता। आज राष्ट्रवाद पर जातिवाद हावी होते जा रहा परिणाम स्वरुप राष्ट्र कमजोर हो रहा है, जातिवादी नेता गरीबों की आड लेकर जात बाद को बढ़ावा दे रहे है, वस्तुतः गरीबी व्यक्ति में होती है जाति में नहीं। यद्यपि 77 वर्षों से यदि गरीबों की मूल समस्या पर ध्यान दिया गया होता तो भारत में आज गरीब नहीं रहती। लेकिन भारतीय राजनेताओं ने मूल समस्या पर काम नहीं करके इसे वोट प्राप्त करने का एक साधन बना लिया जो आज देश के लिए नासुर साबित हो रहा है। इसी तरह नफरती कानून जातीय आधारित अपने वोट प्राप्ति के स्वार्थ में कई बने ताकि बहुमत प्राप्त कर आजीवन कुर्सी पर एकाधिपत्य बनाए रखा जाए जैसे धारा 370 35 ए, मुस्लिम वक्फ बोर्ड, मुस्लिम पर्सनल लॉ, अल्पसंख्यक आयोग, अति पिछड़ा आयोग, पिछड़ा आयोग, दलित आयोग सवर्ण आयोग, आदि जैसे काले कानून भारत को अति पिछड़े राष्ट्रों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। यदि सचमुच भारत में राष्ट्रवाद लाना है,एकता स्थापित करना है तो जाति पाती,जाति पार्टी से अलग हटकर राष्ट्रवादी कानून बनाना होगा ताकि नफरत से अलग हटकर भारत को एक अलग राष्ट्र के स्वरूप का निर्माण हो सके, इस पर हर दल को सोच समझ कर राष्ट्र हित में काम करना होगा क्योंकि राष्ट्र पहले राजनीति बाद में।
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