
राजनीति के चक्रव्यूह में देश का सवर्ण
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- May 17, 2025
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संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की लेखनी से
दुर्गावती (कैमूर)-- सनातन की रक्षा करते-करते देश को आजादी दिलाने वाला प्रमुख वर्ग सवर्ण आज भारतीय राजनीतिक के चक्रव्यूह का शिकार हो रहा है। खंडहर हो गए किले, देश को समर्पित कर दिए गए अपनी तिजोरी अपनी जवानी और जायदात बदले में मिला क्या तो आजाद देश, लेकिन आजाद देश में शासन करने वाले लोगों ने उनको दिए क्या अपमान, तिरस्कार,नफरत की गंदी राजनीति। सवर्णों के द्वारा बनाए गए सामूहिक धर्मशाला सामूहिक पेय जल की व्यवस्था सामूहिक तालाब बाग बगीचे संस्कार युक्त यूनिवर्सिटी विद्यालय जो आज आज सरकार के कब्जे में है जिसका दोहन सरकार कर रही हैं। और सरकार उस संधान से न संस्कार दे पा रही है न संस्कार युक्त शिक्षा न रात्रि में निशुल्क बाहरी यात्रियों को ठहराने की व्यवस्था,हा एक काम सरकार के द्वारा किया जा रहा है नफरतों का व्यापार जिससे उस वर्ग के लोग को नफरत की दृष्टि से देखा जासके। डा भीमराव अंबेडकर ने संविधान में कानून बनाया गरीबी को ध्यान में रखते हुए लेकिन उस कानून में संशोधन करके जातीय कानून बनाकर दोनों वर्गों को समानांतर खड़ा कर दिया गया। कुछ समय के लिए बने कानून को अनवरत वोट के लिए जारी रखा गया जिसके चलते आज देश में राजनीति की धूरी ही बदल गई। जिसने चार वेद छ शास्त्र बनाए जो ज्ञान और विज्ञान से भरा पड़ा है उसके बाहर आज तक विश्व का वैज्ञानिक नहीं जा पाया न पूरी तरह से उसकी खोज कर पाया फिर भी नफरत आग में जलाया ही जाता है। इस वर्ग को पीछे धकेलना के लिए कानून बने फिर भी सब कुछ के बाद जब भी प्रतियोगिता होती है चाहे युद्ध में रण कौशल दिखाने की या यूपीएससी बीपीएससी के प्रतियोगिता या कक्षा वार परीक्षा की प्रतियोगिता तब भी यह वर्ग देश में प्रथम स्थान लाकर राजनेताओं के मुंह पर तमाचा मारने में पीछे नहीं रहता। परमात्मा के द्वारा बनाई गई सृष्टि में हस्ताक्षर करके कानून बनान हस्तछेप करना चाहने के बाद भी नहीं हो सकता,कानून बना सकते हो दिमाग नहीं बना सकते। इसलिए सरकार को चाहिए कि सुपर ब्रेन का प्रयोग करके सुपर पावर बनने की ओर अग्रसर हो की नीति पर काम करने की जरूरत है, वरना देश में हो रहे भ्रष्टाचार तथा भेदभाव युक्त राजनीति से निजात नहीं मिल सकता। नफरत युक्त कानून और नफरत की बीज बोकर कुछ दिन शासन कर सकते हो लेकिन आने वाले समय में अपने वंशजों के लिए नफरत के सिवाय कुछ देकर जाने की उम्मीद नहीं रख सकते ना विज्ञान में प्रगति होगी न ज्ञान में। फिर भी यह सवर्ण समाज देश में अपनी निष्ठा के साथ राष्ट्रभक्ति और राष्ट्र सेवा में निरंतर लगा हुआ है।
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