
भाड़े की भीड़ से राजनेताओं का होता है स्वागत
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Jun 01, 2025
- 340 views
संवाददाता श्याम सुंदर पाण्डेय की रिपोर्ट
दुर्गावती(कैमूर)-- बरसों पहले राजनेताओं के महल झोपडी में बदल जाते थे लेकिन अब के राजनेता झोपडी से पैदा होते है और खंडहर से महल और कई फैक्टरियों मालिक बन जाते हैं।जिसके कारण बिहार ही नहीं संपूर्ण देश में राजनेताओं के प्रति जनता की उदासीनता साफ दिखाई दे रही है। पहले राजनेताओं के प्रति जो आस्था और सहानुभूति जनता में दिखाई देती थी वह आज नफरत में बदल गई है अब न राजनेता उस तरह के है न जनता। जैसे राजनेता गिरगिट की तरह रंग बदल रहे हैं उसी तरह से जनता भी अपना रंग बदल रही है राजनेता और जनता दोनों में सौदा बाजी का नजारा देखने को मिल रहा है। जातीय बाद की राजनीति और जातीय आधारित कानून से राजनेताओं के ऊपर से विश्वास आम जनता का उठता जा रहा है जिसका परिणाम है कि जातीय राजनेताओं के रैली में कहीं-कहीं विशेष जातियों के लोगों ही इकट्ठा होते हैं तो कहीं बरगला कर या पैसा देकर लोगों को रैली में लोग ले जा रहे हैं। आज राजनीति में कोई भी दल का राजनेता यह नहीं दावा कर सकता है कि उनकी छवि और साफ चरित्र को देखकर के लोग उनके सभा में इकट्ठा होते हैं। सभा में भीड़ इकट्ठा करने के लिए क्षेत्रीय विधायक और कार्यकर्ता महीना पहले भीड़ जुटाना में लग जाते हैं और उनके लिए भोजन वाहन और पैसा तीनों की व्यवस्था की जाती है। और कुछ ऐसे राजनेता है जो बार-बार कह कर रैली और सभा में ले जाते हैं और फिर कोई उनको पैसा देता है न भोजन देता हैं वैसे लोग दूसरी बार रैली में नहीं जाते। आजकल के राजनीतिक परिवेश में जो बदलाव आया है वह आए दिन देखने को मिल रहा है। लेकिन राजनेता जनता के साथ विश्वास बढ़ाने की जगह नफरत भरी सभा में बातें करते है और जातीय कानून से जो वोट प्राप्त करने का तरीका अपनाए है वह उनके लिए घातक भी सिद्ध हो रहा है। वर्तमान समय में क्षेत्रीय नेताओं के साथ रिश्ते निभाने के लिए भी लोग दिखावे के लिए उनके सभा में पहुंच जाते हैं लेकिन दिल तो कहीं और रहता है। अब तो वोट नहीं देने वालों से नफरत करते राजनेता दिखाई देते हैं उनसे बातें भी नहीं करते न उनका काम, पारदर्शिता और सहानुभूति उनके अंदर से मर चुकी है। जिसके चलते आज राज नेताओं को रैली में खरीद फरोकश करके भीड़ जुटाना पड़ता है चाहे वह किसी दल के राजनेता हो। यदि अपने प्रति आकर्षण बनाना है तो सब के प्रति समान कानून और समान विचारधारा रखनी होगी जो वोट दिया हो या नहीं, सबसे समान रूप से बातचीत और उनका काम करना चाहिए तभी जाकर नेताओं के प्रति लोगों का आकर्षण और विश्वाश बढ़ेगा।
रिपोर्टर