न्याय की आश में कब्रिस्तान में दफन हो जाते है लोग, फिर भी नहीं मिलता है न्याय- श्याम सुंदर पाण्डेय
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Aug 23, 2025
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भारी भरकम रिश्वत न होने की वजह से आर्थिक रूप से कमजोर को संपत्ति से उसे वंचित हो जाना पड़ता है, और फिर जीते हैं देश में जिल्लत की जिंदगी
कैमूर-- भारत देश में न्यायपालिका की लचर व्यवस्था के कारण कितने लोग न्याय की आशा लिए कब्रिस्तान में दफन हो जाते हैं, फिर भी नहीं मिलता है न्याय। उक्त बातें जिला के दुर्गावती प्रखंड क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर पाण्डेय के द्वारा एक भेंट के दौरान कही गई। आगे उन्होंने कहा देश का सुप्रीम कोर्ट तो बड़े-बड़े पूंजीपति और राजनेताओं के केस में उलझा रहता है, वहां गरीब को जाने के लिए न धन है न किसी बाहुबली का सहयोग। अक्सर न्यायपालिका में किसी भी न्याय की समय सीमा निर्धारित नहीं होने के कारण व्यक्ति को केवल तारीखों में उलझकर रह जाना पड़ता है, और इसी तरह तारीख को देखते-देखते व्यक्ति के प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। फिर उसे केश को देखने के लिए उसके वंशज न्यायालय की परिक्रमा करते रहते हैं, या बदलते अपनी स्थिति के कारण केश को छोड़कर अपनी पराजय स्वीकार कर लेते हैं। जिससे अपने ही संपत्ति से उसे वंचित हो जाना पड़ता है, और फिर जीते हैं देश में जिल्लत की जिंदगी। भूमि विवाद संबंधी जितने भी न्यायालय में केश हैं कभी-कभी हाई कोर्ट तक केस पहुंचने के बाद पुनः निचली अदालत में वह मामला आ जाता है, और फिर शुरू होता है न्याय का तारीख पर तारीख का खेल। न्यायालय में भूमि संबंध विवाद हो या बलात्कार या अपराध संबंधी कोई भी बाद यदि चलता हो तो उसकी समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए, ताकि जनता को आसानी से कम समय में समय पर न्याय प्राप्त हो सके। लेकिन फास्ट ट्रैक की व्यवस्था तो हुई कुछ मामलों में हुई, लेकिन भूमि विवाद और अपराध जैसे अन्य मामलों में समय सीमा निर्धारित नहीं होने के कारण व्यक्ति आज भी न्याय की असलियत से कोसों दूर रहता है, या कब्र में दफन हो जाता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि व्यक्ति की जिंदगी में ही न्यायालय में चलने वाले मामले का फैसला आ जाए ताकि उसके वंशजों को झेलना न पड़े। जिस भूमि संबंधी विवाद को सुलझाने के लिए सरकार के द्वारा सर्वे अभियान चलाया गया है उसमें भी भूमि संबंधी कई मामले न्यायालय में चल रहे हैं जिसका समय से फैसला न आएगा न वह भूमि और जमीन सर्वे में शामिल होगी। देश के संवैधानिक ढांचे में न्याय दिलाने के लिए न्यायालय का जो निर्माण हुआ है उस न्यायालय में समय सीमा निर्धारित करने के लिए सरकार को समय सीमा का कानून बनाना बेहद जरूरी है ताकि जनता को न्याय मिल सके और उसके लिए जरूरी हो तो न्यायपालिका की भी संख्या बढ़ानी चाहिए।


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