राजनैतिक दबाव या आर्थिक लोभ- अयोग्य अधिकारी अपने जिम्मेवारियों को निभाने में असमर्थ
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, उप संपादक बिहार
- Sep 12, 2025
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रैयतदारों की निजी भूमि में विरोध के बावजूद गली नाली निर्माण कार्य के लिए योजना को मिली मंजूरी, वरीय पदाधिकारीयों की सूझ बूझ से कार्य हुआ ठप
आर्थिक लोभ या दबाव- आखिर क्यों घोंट रहे कानून की गला
कैमूर-- जिला अंतर्गत दुर्गावती अंचल क्षेत्र के इशीपुर गांव में रैयतदारों की निजी भूमि में विरोध के बावजूद नाली व गली निर्माण कार्य योजना को अधिकारीयों द्वारा मंजूरी मिलना अयोग्यता को प्रदर्शित करता है। वो भी जहां नाली व गली की भूमि उसी स्थल से सटे अतिक्रमणकारियों द्वारा अतिक्रमण करने के बावजूद।
जबकि एक पक्ष के द्वारा दो वर्ष पूर्व से ही नाली व गली का भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने हेतु अधिकारियों को निष्क्रिय देख मामला को कोर्ट में उचित न्याय मिलने हेतु पहुंचाया जा चुका है, पूर्व में भी भूमि का मापी हो चुका है, जिसमें यह स्पष्ट है, की गली व नाली का भूमि अतिक्रमणकारियों द्वारा अतिक्रमण किया जा चुका है। अधिकारियों की जानकारी में मामला न्यायालय में लंबित रहने के बावजूद, कानूनों का पालन न कर कार्य को स्वीकृति देना संबंधित पदाधिकारी के कार्यशैली पर सवालिया निशान हैं। या तो राजनैतिक दबाव के आगे या आर्थिक लोभ में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में अधिकारी असमर्थ हैं। पीड़ित व उनके अग्रज वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुन्दर पांडेय से मिली जानकारी के अनुसार गांव की गली व नाली की भूमि अतिक्रमण मुक्त कराने हेतु केस नंबर 139/2024 मोहनियां न्यायालय में दिलीप पांडेय व राजन पांडेय के बीच चल रहा है। इसी बीच रामगढ़ विधानसभा के विधायक अशोक कुमार सिंह के द्वारा गली में अपने फंड से काम कराने के लिए राशि का आवंटन करा दिया गया, जबकि उस गली खाता संख्या 66 प्लाट संख्या 262 एवं 139 पर न्यायालय में मामला चल रहा है। पूर्व में गली व नाली का भूमि मापी हुआ था तो जिस स्थल पर कार्य होने जा रहा था वो भूमि दिलीप पांडेय और संदेश पांडेय की सिद्ध हो चुका है, जिसका छाया प्रति व न्यायालय में चल रहे मामले का छाया प्रति अंचलाधिकारी को भी दिखाया गया था। फिर भी योजना को मंजूरी मिलना और स्थल पर कार्य प्रारंभ होना, अंचलाधिकारी द्वारा कार्य प्रारंभ होने के बावजूद भी मौन होना अनेकों सवालों को जन्म देती है।
वरीय पदाधिकारीयों की सूझ बूझ से कार्य हुआ बन्द
जन प्रतिनिधियों सहित पीड़ित द्वारा स्थानीय पदाधिकारियों से गुहार लगाया गया पर उनके द्वारा कानूनों का अनदेखी किया गया। अंततः मामला जिला पदाधिकारी व अनुमंडल पदाधिकारी के संज्ञान में आने के बाद बुधवार को अंचलाधिकारी द्वारा अंचल अमीन से पुनः मापी कराया गया, और कार्य को ठप किया गया।
जब संदर्भ में दूरभाष के माध्यम से स्थानीय विधायक अशोक सिंह से वार्तालाप किया गया तो उनके द्वारा कहा गया की रैयतदारों की भूमि पर कार्य नहीं होगा।
तथाकथित समाजसेवी, जन प्रतिनिधि व अधिकारि उड़ा रहे कानून की धज्जियां
पीड़ित की माने तो आर एस एस को समर्पित तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता राजन पांडेय द्वारा विधायक सहित मंत्री, अधिकारीयों से मिली भगत कर कानून की धज्जियां उड़ा सरकारी भूमि को हड़पने का कोशिश किया गया, जिसमें भूमि से संबंधित पूरी जानकारी लिए बिना ही विधायक द्वारा भी सहयोग दिया जा रहा था, जिसे वरीय पदाधिकारीयों द्वारा रोका गया। यदि धरातल पर देखा जाए तो अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों द्वारा ऐसे ही एक पक्षीय होने की वजह से बड़ी घटनाएं जन्म लेती है।
क्या है प्रक्रिया
नियमानुसार अतिक्रमित भूमि को अधिकारियों द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए अतिक्रमण मुक्त कराया जाना चाहिए। किसी के नीजी भूमि पर योजनाओं का स्वीकृति रैयतदार की विचार के बिना नहीं हो सकता जहां कहीं भूमि न होने की वजह से विकास कार्य अवरूद्ध हो रहा है तो सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण किया जा सकता है पर नियमानुसार, भूमि की उचित राशि प्रदान करने के उपरांत।पर जिला अंतर्गत ऐसे अधिकांश मामलों में अधिकारी अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लेते है। इतना ही नहीं यदि किसी के द्वारा अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अधिकारियों के समक्ष आवेदन के माध्यम से भी आगे बढ़कर गुहार लगाया जाता है, तो अधिकारी उसे अर्थ का श्रोत के रूप में अपनाने से नहीं चुकते।
आखिर तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि व अधिकारियों द्वारा कानून की गला घोंटने का प्रयास क्यों किया जाता है आर्थिक लोभ या राजनैतिक दबाव?


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