अस्ताचल सूरज को अर्घ्य देने से प्रारंभ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दें छठ पुजा का हुआ समापन

जगह-जगह सामाजिक कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों सहित शासन प्रशासन रहा मुस्तैद 

कैमूर-- जिला में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया छठ पूजा का त्यौहार छठ पूजा व्रतियों द्वार अस्ताचलगामी सूरज को अर्घ्य देने से प्रारंभ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देा छठ पूजा का हुआ समापन। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार

एक पौराणिक लोककथा के अनुसार लंका विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।

एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बना था। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है।

 कुछ कथाओं में पांडवों की पत्नी द्रोपदी द्वारा भी सूर्य की पूजा करने का उल्लेख है। वे अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं।

 एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

छठ पूजा बिहार, उत्तराखंड, नेपाल, उत्तर प्रदेश सहित देशभर में भी श्रद्धालुओं द्वारा बड़े ही भक्ति भाव से किया जाता है। जिला के अनेकों जगहों पर नदी तालाब पोखर के पिंडों पर व्रतियों द्वारा डूबते सूर्य को अर्घ्य दें प्रारंभ से उगते सूर्य को आगे दे मंगलवार को छठ पूजा का समापन किया गया। वही त्योहार पर सुविधाओं एवं सुरक्षा की दृष्टिकोण से शासनिक प्रशासनिक अधिकारी मुस्तैद रहे-


तो सामाजिक संगठनों एवं कार्यकर्ताओं सहित जनप्रतिनिधियों द्वारा बढ़-चढ़कर सहयोग प्रदान किया गया।


रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट