नेताओं के रंग में रंग चुकी जनता, साफ सुथरा उम्मीदवारों का हुआ अभाव

संवाददाता की लेखनी से 

दुर्गावती(कैमूर)-- अब ईमानदार और देशभक्त निष्ठा वान के लिए चुनाव लड़ना आसान नहीं रहा क्योंकि राजनीति में धनबल बाहुबल और अपराधी प्रवृत्ति के लोगों का प्रवेश हो चुका है, जिसके कारण चुनावी फिजा में जनता भी अपने उम्मीदवारों के रंग में रंगती नजर आ रही है। टिकट बंटवारे से लेकर जातीय समीकरण देश भक्ति और देश के विकास में एक बड़ी बाधा बनती जा रही है, जिसका परिणाम है की जनता भी उन्हीं के रंगों में रंगती और थिरकती नजर आती है। लंबी लंबी जनता की काफिला लिए गाड़ियों के गुजरते हारन के स्वर से जनता को लुभावने और प्रभाव डालने का खेल जारी है। बहू बल और पैसो के रसुकों ने जनता को खुलकर नहीं बोलने पर बेबस कर दिया है, अब जनता यह सोच रही है कि यदि उम्मीदवार जान गया तो आफत ही आफत है। सादगी भरी जीवन और सादगी भरा विचार लिए अब कोई भी जनप्रतिनिधि जनता के बीच आने से कतरा रहा है। उम्मीदवारों के द्वारा गुप्त तरीकों से पैसे बांटने और मतदाताओं को खरीदने का भी खेल चल रहा है जिससे चुनाव खर्चीली हो गया है। पहले नेता अकेले चंद लोगों के साथ मतदाताओं के बीच जाता था और उसकी सादगी उसका चरित्र उसके चुनाव के आधार को देखते हुए बिना किसी दबाव बिना किसी पैसे के लेनदेन के जनता वोट कर देती थी। लेकिन राजनीति में जिस तरह का बीज बोया गया वह लोकतंत्र के हित में न होकर एक अलग ही रूप ले लिया है, जिसका परिणाम रहा की आज जनता न खुल कर आवाज उठाती है न मतदान कर पाती है। देश के प्रगति में ईमानदार और बुद्धिजीवों के रोकने का जो खेल राजनीति में आजमाया गया कुर्सी पाने के लिए वह देश के विकास में घातक सिद्ध हो रहा है।

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