स्वच्छ और पारदर्शी समाज का निर्माण आरक्षण से नहीं, संस्कार युक्त शिक्षा से ही है संभव
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, उप संपादक बिहार
- Dec 11, 2025
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बिहार-- आज राष्ट्र में हर समाज के बीच तनाव का वातावरण बन चुका है, पारदर्शिता का अभाव है संस्कार युक्त समाज कहीं दिखाई नहीं दे रहा है ,इस देश में चाहे कितना ही कानून बना दिए जाय इसे दूर नहीं किया सकता। एक समय था जब लोगों में अपराध के प्रति भय एक दूसरे से मानवता का सामंजस्य देखने को मिलता था आपसी भाईचारा चरम पर था क्या कभी सरकार ने सोचा है कि ऐसा क्यों संभव था और ऐसा हो कैसे रहा था। सब कुछ संस्कार युक्त शिक्षा की देन थी जिसके बल पर भारत ज्ञान और विज्ञान की नई की इबादतें लिखता था। लेकिन आज के परिवेश में सरकार नए-नए कानून बनाकर समाज में पारदर्शिता और समानता लाने की कोशिश कर रही है जो नाकामयाबी का मिसाल कायम कर रहा है न लोगों में ईमानदारी आ रही है न संस्कार न आपसी सामंजस्य कही भी दिखाई दे रही है न अपराध और महिलाओं के प्रति हिंसा कही रुक रही है। आरक्षण की कुर्सी लगाकर लोगों को बड़े पदों पर बैठना या कानून का रखवाला बनाना या समाज में पारदर्शिता लाना संभव नहीं है न होगा तब तक जब तक संस्कार एवं शिक्षा के साथ विद्यालय में अध्ययन का काम शुरू नहीं होगा। सरकार को चाहिए कि स्वस्थ और स्वच्छ समाज के निर्माण के लिए तथा भय मुक्त वातावरण के लिए ,आपसी भाईचारा के लिए, अपने पूर्व के गुरु गुरुकुल प्रणाली को पुन स्थापित करना होगा। आज भी भारत के ऋषि कुल में ऐसे ऋषि हैं जो वेदों के स्वाध्याय के साथ-साथ साधना की उच्चतम गहराई में उतरकर अपने विशेष ज्ञान के द्वारा ब्रह्मांड के अंदर छिपे रहस्य का खोज कर समाज में लोगों के सामने ला सकते हैं इसके सिवा दुनिया में कोई ऐसा संसाधन नहीं है न कोई ऐसी विधा है जिसके द्वारा स्वच्छ और पारदर्शी समाज का निर्माण हो सके या विशेष ज्ञान के द्वारा ब्रह्मांड के खगोलीय और आध्यात्मिक अड़ू परमाणु में होने वाले क्रिया प्रतिक्रिया की खोज की जा सके। आरक्षण तो एक चुनावी स्टैंड है इससे न समानता लाई जा सकती है न विज्ञान के युग में क्रांति इसलिए सब कुछ छोड़कर देश और समाज के निर्माण के लिए अध्यात्म की तरफ अध्यात्मिक विद्यालय की तरफ सरकार को बढ़ने की जरूरत है। ताकि स्वच्छ और पारदर्शी समाज का निर्माण हो सके और महिलाओं के प्रति हिंसा बंद हो सके।


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