जातिगत आरक्षण का समर्थन राजनीतिक पार्टियों की निजी हित, राष्ट्र के लिए अभिशाप - अनिल मिश्र

धर्मरक्षक, कानूनविद , सामाजिक समरसता बुद्धिजीवी वर्ग की संगोष्ठी-जन संवाद में गुंजा जातिगत कानूनों की हो खात्मा- राष्ट्र के विभिन्न प्रदेशों से लोग हुए सम्मिलित

अखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा ने की आयोजन, तो संयोजक के रूप में राष्ट्रीय समानता मोर्चा रहा तटस्थ

"उपनाम उधार है, ब्राह्मण जाति को न करें बदनाम, सकपाल सिर्फ आरक्षण निर्माता, संविधान निर्माता तो बी एन राव है"

उत्तर प्रदेश-- राज्य की राजधानी लखनऊ अंतर्गत केसर बाग स्थित इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स भवन  में अखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाण्डेय की अध्यक्षता में धर्मरक्षक, कानूनविद , सामाजिक समरसता हेतु बुद्धिजीवी वर्ग की संगोष्ठी-जन संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया, संयोजक के रूप में राष्ट्रीय समानता मोर्चा रहा तटस्थ।जातिगत आरक्षण का समर्थन राजनीतिक पार्टियों की निजी हित, राष्ट्र के लिए अभिशाप, बुद्धिजीवी वर्ग की संगोष्ठी में समाज व राष्ट्र हित में आपसी समरसता हेतु जातिगत आरक्षण का हो खात्मा हुआ गुंजायमान।


अखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा के द्वारा समाज व राष्ट्रहित में धर्मरक्षक कानूनविद सामाजिक कार्यकर्ताओं की संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुख्य अतिथि अनिल मिश्र ग्वालियर(म.प्र.) हाईकोर्ट अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि स्वामी आनंद स्वरूप महराज पीठाधीश्वर शाम्भवी धाम हरिद्वार उत्तराखंड, पूर्व न्यायाधीश चन्द्र भुषण पाण्डेय, पूर्व न्यायाधीश एस के उपाध्याय,वक्ता सरदार दिनेश सिंह, प्रभाकर राव पेशवा,सिपी तिवारी,एच एन पाण्डेय व अन्य माननीय के कर कमलों से संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय समानता मोर्चा सवर्ण उत्थान समिति त्रिभुवन शर्मा, अवधेश कुमार मिश्र, एवं तेजकुमार शुक्ला ने संयुक्त रूप से किया तो कार्यक्रम की व्यवस्थापक की भूमिका में रवि अवस्थी धनंजय द्विवेदी सहित अन्य आरक्षण विरोधी राष्ट्रभक्तों के द्वारा बढ़ चढ़कर भूमिका निभाया गया। आगंतुक अतिथियों को फूल मालाओं से अलंकृत कर अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

संगोष्ठी-जन संवाद सभा को संबोधित करते हुए अधिवक्ता सरदार दिनेश सिंह ने कहा कि जातिगत आरक्षण व एससी-एसटी एक्ट जैसे विभाजनकारी कानूनों की वजह से राष्ट्र में तथाकथित नेतृत्व कर्ताओं द्वारा जहर घोला जा रहा है। उन्होंने कहा की मैं भी चमार जाति से हुं जब संविधान को पढ़ा तो मालूम हुआ की संविधान का मुख्य निर्माता बीएन राव है। बी एन. राव (बेनेगल नरसिंह राव) भारत के एक प्रतिष्ठित सिविल सेवक, न्यायविद और राजनयिक थे, जो भारतीय संविधान के संवैधानिक सलाहकार के रूप में थे जिन्होंने संविधान का पहला मसौदा तैयार किया, भारतीय सिविल सेवा में अनुभव, कई देशों के संविधानों का गहन अध्ययन, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में न्यायाधीश के रूप में कार्य करना शामिल था, जिससे भारतीय संविधान को एक मजबूत कानूनी और ढांचागत आधार मिला। संविधान का मसौदा  उन्होंने दुनिया के विभिन्न संविधानों (जैसे अमेरिका, आयरलैंड, ब्रिटेन) इत्यादि का अध्ययन करके भारत के संविधान का पहला मसौदा तैयार किया, जो संविधान निर्माण की नींव बना। जब सत्यता को हमारे द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से पटल पर रखा जाने लगा तो भीमटे हमारे विरुद्ध भी एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करायें जब उन्हें सच्चाई पता हुआ कि हम भी इस वर्ग से हैं तो अलग-थलग हो गए।

वही संगोष्ठी जनसंवाद जन सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष ने कहा की जातिगत कानूनों का खात्मा ही देश हित में है, यदि सत्यता देखा जाए तो आज के समय मे समाज व राष्ट्र के दुश्मनों द्वारा जातिवाद का रोना रो समाज व राष्ट्र में जहर घोला जा रहा है।

जातिगत कानूनों की वजह से बढ़ रही वैमानस्यता- स्वमी आनंद स्वरूप 

 संगोष्ठी जन संवाद को संबोधित करते हुए स्वामी आनंद स्वरूप महराज ने कहा जातिगत आरक्षण एवं जातिगत कानूनों की वजह राष्ट्र में आपसी भाईचारा एवं समरसता खतरे में है। संविधान के असली निर्माता तो डॉक्टर बी एन राव है, पर कुछ दुराचारि राष्ट्र द्रोहियों द्वारा निजी हित साधने के लिए अंग्रेजों के टट्टू भीमराव सकपाल को संविधान का जनक बताया जाता है जो की हास्यप्रद है।

जातिगत आरक्षण का समर्थन राजनीतिक पार्टियों की निजी हित राष्ट्र के लिए अभिशाप- अनिल मिश्रा

वही संगोष्ठी- जन संवाद सभा को संबोधित करते हुए ग्वालियर हाई कोर्ट अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्र ने कहा की जातिगत आरक्षण व एससी एसटी एक्ट जैसे दमनकारी कानूनों की वजह से राष्ट्र में वैमानस्यता फैल रहा है। जहां तक जातिगत आरक्षण की बात की जाए तो जाति के नाम पर अमीरों द्वारा गरीबों का हक मारा जा रहा है। वही एससी एसटी एक्ट राष्ट्रद्रोहियों द्वारा सवर्ण एवं ओबीसी वर्ग की शोषण के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। जो देश की प्रगति, एकता, सुरक्षा और कल्याण को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा विनाश की ओर ले जा रही है, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, अंध-राष्ट्रवाद, या सामाजिक विभाजन, जो नागरिकों के नैतिक और भौतिक विकास को रोक राष्ट्र को दुर्बल बना रहे हैं। संविधान निर्माण में भीम राव का योगदान उतना नही है जितना डाॅ बी एन राव सर का है।समाज मे वर्ग विशेष द्वारा एवं राजनीतिज्ञों द्वारा वोट बैंक की राजनीति के तहत भीमराव सकपाल का महिमामंडन किया जाता है और डाॅ बी एन राव के योगदान को अत्यंत कम किया जाता है। भीमराव सकपाल को शिक्षा के साथ ही उपनाम (अम्बेडकर) हमारा समाज उधार दिया है। जिसके द्वारा ब्राह्मणों के उपनाम अंबेडकर उपनाम को भी बदनाम किया गया।

तमाम वक्ताओं द्वारा अपनी बातें समाज व राष्ट्रहित में अपने-अपने शब्दों में उल्लेखित किया गया। उक्त अवसर पर आरक्षण विरोधी देशभक्त अखिलेश पांडेय, त्रिलोकी तिवारी, एसपी नथानी, जैनेंद्र तिवारी सहित हजारों हजार की संख्या में पुरूष व महिला राष्ट्रभक्त उपस्थित रहे।


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