एम्स की तरह ही सुविधायुक्त होगा बीएचयू

वाराणसी । आईएमएस बीएचयू को एम्स जैसी सुविधा प्रदान करने के लिए मंगलवार को दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग साइन किया गया। जिसमें आईएमएस, एम्स, स्वास्थ्य मंत्रालय तथा एमएचआरडी के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए। एमओयू साइन होने के साथ ही बीएचयू के आयुर्विज्ञान संस्थान को एम्स जैसी सुविधाएं प्रदान करने की औपचारिकता पूरी हो गयी है। 

       आईएमएस को बीएचयू से अलग हुए बिना एम्स जैसी सुविधाएं और संसाधन मिलेंगे। इस शृंखला में अभी और कड़ियां जुडनी हैं। बीएचयू के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने बताया कि एक माह में पांचवीं बैठक में हम एमओयू तक पहुंचे हैं। इसमें तय हुआ है कि आईएमएस बीएचयू, सर सुंदरलाल अस्पताल मिलकर के वह ब्लूप्रिंट तैयार करेंगे जिसके आधार पर एम्स जैसी सुविधा का लाभ मिलेगा। एमओयू में स्पष्ट है कि आईएमएस का नाम नहीं बदलेगा और वह बीएचयू का ही अंग बना रहेगा। फंडिंग स्वास्थ्य मंत्रालय करेगा तथा सभी प्रशासनिक अधिकार कुलपति के पास रहेंगे। इस समझौते के बाद एम्स, एमएचआरडी तथा नीति आयोग की टीम शीघ्र ही बीएचयू आएगी और स्थिति का जायजा लेकर निर्णायक रिपोर्ट तैयार करेगी। औपचारिकताओं की पूर्ति के उपरांत पूर्वांचल समेत पड़ोसी राज्यों की 20 करोड़ जनता को वही स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगेंगी जो एम्स में मिलती हैं। एमओयू साइन होने की सूचना मिलते ही बीएचयू परिसर में खुशी की लहर दौड़ गई। विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारी एक दूसरे को बधाई देने लगे ऐसा माना जा रहा है कि 15 अगस्त 2018 तक आईएमएस को एम्स के बराबर सभी सुविधाएं प्रदान कर दी जाएंगी। इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय, एम्स तथा नीति आयोग को मिलाकर हाई पावर कमेटी गठित कर दी गई है। चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. वीके शुक्ला ने रजिस्ट्रार की अनुपस्थिति में एमओयू पर हस्ताक्षर किए। सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. ओपी उपाध्याय को ब्लूप्रिंट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एम्स जैसी सुविधा मिलने पर यहां संसाधन का विकास तो होगा ही साथ ही शोध तथा स्वास्थ्य चिकित्सा के क्षेत्र में कई नवीन संभावनाएं भी जन्म लेंगी। एक बड़ी उपलब्धि यह होगी कि शिक्षकों, कर्मचारियों तथा मेडिकल स्टाफ को भी एम्स के पैटर्न पर ही सभी सुविधाएं प्रदान की जाएगी।

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