बनारस के बच्चों की आंखें बुजुर्गों से ज्यादा कमजोर

वाराणसी। आंखों की सेहत को लेकर जिले में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं। दादा-दादी, नाना-नानी की तुलना में उनके नाती-पोतों की आंखें कमजोर मिल रहीं हैं। पिछले दो वर्षों (2016-17 और 2017-18 ) के दौरान बुजुर्गों की तुलना में बच्चों को अधिक चश्मे लगे हैं। यह खुलासा अंधता निवारण कार्यक्रम और स्कूल हेल्थ प्रोग्राम के आंकड़ों से हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों की आंखें कमजोर होने के पीछे मोबाइल और कंप्यूटर प्रमुख कारण हैं। समय रहते इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति और गंभीर होगी।  

नीली किरणें खतरनाक 
इलेक्ट्रानिक स्क्रीन, जैसे कंप्यूटर, टेबलेट्स और स्मार्टफोन से निकालने वाली नीली किरणें सूरज की परा बैंगनी किरणों की तरह हानिकारक हो सकती हैं। इनका बच्चों की आंखों पर तेजी से दुष्प्रभाव पड़ता है। 

कम हो जाती है आंखों की नमी 
कंप्यूटर और मोबाइल से आंखों की दूरी कम होती है, जिससे आंखों की मूवमेंट कम होती है। लंबे समय तक एक ही प्वाइंट पर आंखें फोकस रहती हैं। ऐसे बच्चों में मुख्य समस्या ड्राई आई सिड्रोंम की होती है। इसमें आंखों की नमी कम होने लगती है।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट