सेना भाजपा में युति होने को लेकर असमंजस की स्थिति बरकरार

कार्यकर्ता भी है असमंजस में......


भाजपा सभी विधामनभा से ले रही इच्छुक उम्मीदवारों की लिस्ट 


कल्याण पूर्व विधानसभा से गायकवाड़ को भाजपा का टिकट मिलने के आसार


कल्याण ।। आगामी विधान सभा चुनाव में महज चंद दिनों का फासला बचा है इसके बावजूद सेना भाजपा में युति को लेकर अब तक असमंजस बरकरार है । जहाँ एक तरफ सेना भाजपा आपस मे युति की बात कर रहे है तो वही दूसरी तरफ भाजपा की तरफ से अगल अगल विधान सभा क्षेत्र में अपने इच्छुक उमीदवारों का नामांकन ले युति से अलग चुनाव लड़ने के मूड में नजर आ रही है । 

आगामी विधान सभा चुनाव में सेना भाजपा युति होगी या नही इन तमाम अटखलो के बीच भाजपा इच्छुक उमीदवारों में लगती होड़ को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है जी हर कोई भले ही वह विधायक हो या भाजपा पदाधिकारी अपने काम का नही बल्कि मोदी के नाम को भुनाने के कयास में जुट गया है । मगर इन सब के विपरीत कल्याण पूर्व विधान सभा क्षेत्र से महज तीन इच्छुक उमीदवारों ने अपनी उमीदवारी जाहिर की है जिसमे दो बार से निर्दलीय विधायक रह चुके तत्कालीन विधायक गणपत गायकवाड़ है जबकि दो उमीदवार महज खाना पूर्ति करते नजर आ रहे है , भाजपा कल्याण पूर्व विधान सभा क्षेत्र से किसी भी दमदार या पुराने भाजपा पदाधिकारी द्वारा उमीदवारी नामांकन ना भरे जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कल्याण पूर्व विधान सभा क्षेत्र से या तो कोई उमीदवार नही है या सब किसी एक के आधीन हो चुके है । आप को अवगत कराना चाहूंगा कि पूर्व विधान सभा 2014 मे तत्कालीन विधायक गणपत गायकवाड़ के सामने चुनाव नामांकन से महज चंद घंटो पहले राष्ट्रवादी का दामन छोड़ भाजपा से चुनाव लड़ने वाले नगर सेवक विशाल पावसे ने 28 हजार से अधिक वोट हासिल कर भाजपा को तीसरे पायदान पर लाया था , जबकि कल्याण पूर्व शिवसेना का गढ़ माना जाता था और कल्याण पूर्व से भाजपा खत्म के कगार पर थी । मगर इस बार लगातार तीन बार से नगर सेवक राह चुके भाजपा नगर सेवक विशाल पावसे ने भी अपनी उमीदवारी जाहिर नही कि है । बताना चाहूंगा कि कल्याण पूर्व विधान सभा क्षेत्र हिंदी भाषी मतदाताओं का गढ़ माना जाता है और यहां हिंदी भाषी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते है मगर इसके बावजुद किसी हिंदी भाषी भाजपा पदाधिकारी ने उमीदवारी जाहिर नही की है जबकि पूरे कल्याण डोम्बीवली महानगर पालिका से मात्र एक उत्तरभारतीय नगर सेवक मनोज राय की विधानसभा चुनाव में उमीदवार होने की चर्चाओं के बाद भी उनके द्वारा उमीदवारी जाहिर ना किया जाना अपने आप मे संसय निर्माण कर रहा है । हालांकि अधिकांस पुराने एवं उत्तरभारतीय भाजपा पदाधिकारी  विधायक गणपत गायकवाड़ द्वारा भाजपा प्रवेश के बाद से ही पार्टी से नदारत हो गए है या तो पार्टी का दामन छोड़ चुके है । ज्ञात हो कि पहिल बार निर्दलीय विधायक बनने के बाद गणपत गायकवाड़ तत्कालीन सरकार एनसीपी के समर्थित विधायक बन कर अपना कार्यकाल पूरा किया और उनके चचेरे भाई ने कल्याण एनसीपी की जिला अध्यक्ष पद की कमान संभाली जिसके पश्चात बड़े पैमाने पर एनसीपी से नगर सेवको और कार्यकर्ताओं ने एनसीपी का दामन छोड़ सेना और भाजपा में प्रवेश कर लिया , और 2014 में तत्कालीन सांसद आनद परांजपे और विधायक गणपत गायकवाड़ के आपसी अनबन के चलते एनसीपी सांसद उमीदवार आनंद परांजपे को पराभव का मुँह देखना पड़ा क्योकि गायकवाड़ समर्थक कल्यान पूर्व एनसीपी कार्यकर्ताओ ने परांजपे का साथ नही दिया । इसी की तर्ज पर पर इस बार गायकवाड़ समर्थक भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से भरी पड़ी कल्याण पूर्व भाजपा के तरफ से गणपत गायकवाड़ के खिलाफ किसी ने नामांकन भरना जरूरी नही समझा है । हालांकि किसी भी दमदार उमीदवार द्वारा उमीदवारी जाहिर नही किये जाने से भाजपा से गायकवाड़ की उमीदवारी तय मानी जा रही है , मगर अभी तक युति का फैसला ना आने से असमंजस बरकरार है , अगर युति नही होती है तो 2014 में सेना से अपना किस्मत आजमा चुके गोपाल लांडगे जो कि महज 700 के करीब मतों से पराभव का मुह देखकर दूसरा स्थान हासिल किये थे क्या इस बार फिर अपनी किस्मत आजमाएंगे यह देखना बाकी है।

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