बरसात ना होने से गंगा के जलस्तर में आई कमी

वाराणसी । मानसून की बेरुखी का असर गंगा के जलस्तर पर भी पड़ा है। आषाढ़ में जब गंगा में लबालब पानी होना चाहिए, उस समय जीवनदायिनी की जलधार कमजोर पड़ने लगी है। जगह-जगह रेत के टीले दिख रहे हैं और गंगा का जलस्तर चार से पांच घंटे में एक सेमी की गति से घट रहा है। गुजरे दो वर्षों की तुलना में इस बार गंगा का जलस्तर सबसे कम है। इससे पर्यावरण प्रेमी और प्रबुद्ध वर्ग चिंतित हो उठा है।

जुलाई महीने में गंगा के जल स्तर की स्थिति काफी चौंकाने वाली है। इस समय गंगा में पानी की जगह रेत के टीले दिख रहे हैं, जबकि मौसम के लिहाज से इस समय गंगा की कोख पानी से लबालब रहनी चाहिए। मानसून की देरी के चलते बारिश न होने से गंगा में पानी का अकाल जैसा दिख रहा है। पिछले वर्षों के जल स्तर पर गौर करें तो जुलाई 2016 में गंगा में बाढ़ की स्थिति थी, और 16 जुलाई को गंगा का जल 75.210 मीटर दर्ज किया गया था। पिछले साल यानि की 2017 में गंगा का जलस्तर कम था, लेकिन इस वर्ष की तुलना में दो मीटर अधिक था। छह जुलाई 2017 को जल स्तर 66.840 मीटर दर्ज किया गया था। लेकिन, इस वर्ष जल स्तर काफी चौंकाने वाला है। गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी की जगह घटाव दर्ज किया जा रहा है। केंद्रीय जल आयोग के सीतामढ़ी कार्यालय के अनुसार शुक्रवार को शाम छह बजे जलस्तर 64.940 मीटर दर्ज किया गया और हर चार से पांच घंटे में जलस्तर में एक सेंटीमीटर की कमी हो रही है। यही वजह है कि गंगा में पानी की जगह रेत ही रेत दिख रही है। गौरतलब है कि गत दिनों अन्य जिलों में हुई बारिश के बाद गंगा के जलस्तर में मामूली बढ़ोतरी देखी गई थी और रेत के टीले धीरे-धीरे जलधार में समाने लगे थे, लेकिन मौसम में तपिश बढ़ने के साथ ही गंगा फिर घाटों से दूर जाने लगी है।

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