जीवन का एक ही लक्ष्य सवा सौ करोड़ लगायेंगें वृक्ष - अ‌शोक गुप्ता

रिपोर्ट-राम मोहन अग्निहोत्री 

ज्ञानपुर, भदोही ।। कभी हमने सोचा नही था कि बाढ़,सुखा, भूकंप आंधी तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं क्यों आती है? ऐसी अनेक आपदाएं पर्यावरण में मानव के हस्तक्षेप के कारण आ रही है। मनुष्य जैसे जैसे विकास करता गया उसकी आवश्यकताएं बढ़ती गई और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वह प्राकृतिक संसाधनों का अधिकाधिक दोहन करने लगा।उक्त बातें राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक व धावक जो 732 वें दिन यानी अनवरत दो वर्ष तक लगातार वृक्षारोपण करते चले आ रहे अशोक कुमार गुप्त ने कही।श्री गुप्त ने कहा कि खेती योग्य भूमि पर ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी हो गई। शहरीकरण के विस्तार में रातों-रात जंगल के जंगल काट दिया गया। कल कारखानों से निकलने वाले कचरों ने नदियों के जल को दूषित कर दिया।जी हां ये उद्गार है राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक अशोक कुमार गुप्ता के जिन्होंने ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न होने वाले भयंकर परिणामों से धरती और धरती के समस्त प्राणियों को बचाने के लिए दिनांक १०अकटूबर२०१७ सेअनवरत वृक्षारोपण के दो वर्ष पूर्ण होने व्यक्त की।.कहा कि जल ही जीवन है ।यह तो सभी कहते है , लेकिन जल जीवन को तभी बचाएगा जब वृक्ष होंगे। जरूरत है इस मुहिम को जनांदोलन बनानें की।

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