कल्याण के उत्तर भारतीय नेता और भाजपा का रिश्ता

बोल संगम होगा कि नही?

मकसद समाज को सतर्क करना

कल्याण : कल्याण जो कि उत्तर भारतीय बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है जहाँ पर कोई भी चुनाव आते ही उत्तर भारतीय नेता तेल पिलाई कर मैदान में डट जाते हैं और अपने ही समाज से धोखाधड़ी कर चंद नेताओं के चहेते बनने के लिए दिन रात एक कर देते हैं और चुनाव बीतते ही इनका हाल दूध की मक्खी जैसा हो जाता है फिर भी सौ सौ जूता खाय तमाशा घुस के देखे में, ये कुछ चंद नेता विश्वास रखते है। अगर हकीकत की बात करें तो लोगों का ऐसा मानना है कि समाज सेवा से इन उत्तर भारतीय नेताओं को कोई लेना देना नही है बल्कि इन्हें अपने व्यापार के लिए प्रोटेक्शन चाहिए जिसकी वजह से ये समाज की दुहाई देते फिरते हैं फिर से कहता हूं ऐसा लोगों का मानना है, और शायद जो लोग मानते हैं वही सच होता है। ऐसा करना भी इनकी मजबूरी है वरना व्यापार पर आंच आएगी।

इन नेताओं की आपसी फुटमत का फायदा उठाना भी बड़े दिग्गजों को खूब आता है इन्हें या तो लॉलीपॉप दिया जाता है या फिर व्यापार बचाने की धमकी दोनों ही स्थिति में ये चुप हो जाते हैं। अभी हाल की बात करें तो भाजपा ने अपनी मुख्य कार्यकारिणी की घोषणा की जिसमे से सभी उत्तर भारतीय नेताओं को दूध की मक्खी बना दिया गया लॉलीपॉप तो चटाया गया कि मंडल अध्यक्ष पद एक बड़े नामवर नेता को दिया जाएगा लेकिन घोषणा में सब नादारद।

अब क्या बचा वही जो आप समझ रहे हैं झुनझुना वाला पद -उत्तरभारतीय मोर्चा जो केवल नाम का है जिसे लेकर केवल गुणगान बड़े नेताओं का और चरण पखारने का लाइसेंस और जिसके शौकीन हैं उत्तर भारतीय नेता वो है शेखी बघारना बैनर में फोटो डाल कर। आखिर कब तक आप लोग समाज को अंगुली दिखाकर अपना बताएंगे और उन्हें प्रयोग करेंगे। यदि हिम्मत और जरा सा भी इंसानियत बची हो तो सामूहिक रूप से आवाज मुखर कीजिए। पद नही तो बैनर पर समाजसेवक लिखवाने की प्रथा चल पड़ी है, साल दो साल में चंदा एकत्र कर एक कार्यक्रम कर तो समाजसेवक का तमगा अपने आप सीने पर लगा लो ऐसे समाजसेवक हैं ये। जरा कोई बताए कि क्या समाजसेवा अपने दम पर कर रहे हो ? सार्वजनिक रूप से घोषणा करना नेता लोग। कितने पार्क कितने वरिष्ठ नागरिकों के लिए सेवा, कितने जरूरतमंदों को खाने की व्यवस्था, कितने जरूरत मंदो को शिक्षा एवं स्वास्थ्य बीमा आदि कर दिया है?

भाजपा द्वारा केवल प्रयोग की सामग्री न बनें और न ही समाज को बरगलाए, जनहित के मुद्दों पर काम करें तभी आपका अस्तित्व है वरना व्यापार बचाते हुए केवल गरीब नेताओं को चंदा देकर अपनी दुकानदारी करते रहें। समाज के दोहन की नीति को छोड़कर कुछ ऐसा करें कि आने वाली पीढियां गाली से न नवाजें बल्कि तपसी पांडे जैसा पूजें।

बोल नेता बोल संगम होगा कि नही? कल्याण के उत्तर भारतीय पूछ रहे हैं

शायद कुछ दिनों बाद ही पहली वर्षगांठ के रूप में संगम संस्था फिर से उभर कर कार्यक्रम करवाए, अरे भूल गए क्या संगम?? वही जिसमे सभी उत्तर भारतीयों को चुनाव के समय एकजुट होने के लिए भाजपा के बैनर तले (अघोषित रूप से) कार्यक्रम कराया गया जहां पर माननीय अतिथि गण ज्यादातर अनुपस्थिति दर्ज कराए थे, जहां से बड़ी बड़ी घोषणाए हुई थीं, कुछ याद आया। अब तो पुछते हैं कि बोल नेता बोल संगम होगा कि नही। यह दूसरी संस्था थी जिसका प्रादुर्भाव चुनाव के समय हुआ। पहली जानते हैं या वह भी बताया जाए क्यों कि उसकी तो कार्यकारिणी ही छिन्न भिन्न हो गयी है पद की लालसा और निजी स्वार्थ के चलते। ये सब दिल्ली चुनाव में भाजपा की स्थिति को देखते हुए स्मरण हो आया क्यों कि वहाँ भी भाजपा द्वारा लॉलीपॉप बांटा गया लेकिन जनता ने सबक सिखा दिया है।

कल्याण डोंबिवली मनपा चुनाव नजदीक आ रहा है नेताओ से ठेकेदारी चालू करो उत्तर भारतीय नेताओं समय मत गंवाओ, लिस्ट तैयार करो, झांसे कैसे समाज को देने हैं उसकी जुगत भिड़ाना चालू करो क्यों कि आपन भला भला जग माही ...व्यपार संवारा रहेगा तभी आगे की पीढ़ी राज कर पाएगी समाज क्या देगा जुगत भिड़ाओ। एक समाज के युवा को कोंकण महोत्सव में दुत्कारा गया कितने नेता डंटकर सामने आए जरा भाजपा के नेताओं सामूहिक रूप से ऐलान कर दो वरना नेता का चोला उतार दो। केवल भाजपा ही नही इस बार तो बहुतायत टिकट शिवसेना, राष्ट्रवादी एवं कांग्रेस द्वारा भी उत्तर भारतीयों को दिया जा रहा है ऐसा सुनने में आया है क्योंकि चरण चम्पी जोरों पर है इसलिए ऐसा लग रहा है।

आपको जानकारी के लिए बताया जा रहा है कि कल्याण डोम्बिवली मनपा के एकमात्र समाज के नगरसेवक को कई बार मनपा समित में पद देने की बात कही गयी, अभी गट नेता का भी आश्वासन मिलने के बाद बाबा जी का ठुल्लू मतलब कुछ नही मिला। अब निश्चित करने का समय समाज का है।

भाजपा द्वारा स्पष्ट अवहेलना करने के बावजूद कुछ नेता पद के लिए दिन रात एक करके पदाधिकारी बनने की जुगत भिड़ा रहे हैं लेकिन अब तक दाल नही गली है। फिलहाल इनके सुधरने के रास्ते भी नजर नही आ रहे हैं समाज को इसी पर मंथन करने की जरूरत है। भाजपा से रिश्ता भी वही और सोच भी वही।

रिपोर्टर

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