आरोपियों के बरी होते ही उत्सव में डूबे साधु-संत, उड़ा अबीर-गुलाल

अयोध्या ।। मध्याह्न 12:24 बजे अयोध्या ढांचा ढहाये जाने के मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने का फैसला सुनते ही साधु-संत जश्न में डूब गए। दशरथमहल पीठाधीश्वर बिंदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य ने फैसला सुनते ही कहा, यह अयोध्या विवाद की पूर्णाहुति है और आज संवाद-समन्वय का युग शुरू हुआ है। इसी के साथ ही उन्होंने मंदिर परिसर में मिठाई बंटवाई। उनके कृपापात्र संत रामभूषणदास कृपालु ने कहा, विवाद के पटाक्षेप का ह्रदय से स्वागत है। 

उदासीन ऋषि आश्रम-रानोपाली के महंत डॉ. भरतदास फैसले के पहले उत्सुक थे, तो फैसला आने के बाद उन्होंने संतोष की सांस ली। उन्होंने कहा, इस विवाद को आगे बढऩा उचित नहीं था। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य टीवी के सामने से उठे और दौड़ते हुए आश्रम में स्थापित आराध्य विग्रह के सम्मुख साष्टांग हो गए। अगले पल उनके सहयोगी मंजीतदास, गौरवदास, शिवेंद्रदास मिष्ठान लेकर आ पहुंचे और फैसले की खुशी मिष्ठान वितरण से बयां होने लगी। तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंसदास मंगलवार से ही आरोपियों की मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान कर रहे थे। बुधवार को भी वे हवन कुंड में आहुतियां डाल रहे थे, जब फैसला सुनाया गया।

वे सहयोगियों के साथ आसन से उठकर रामलला और रामभक्तों की जय-जयकार करने लगे। नाका हनुमानगढ़ी के खाटू श्याम दरबार में अबीर-गुलाल उड़ाने के साथ मिठाई बांट कर खुशी मनाई गई। पीठाधिपति महंत रामदास ने कहा, यह रामभक्तों से न्याय का पर्व है और इसमें सभी का स्वागत है। कोई समुदाय अपने विरोध में न समझे।

रामादल के अध्यक्ष पं. कल्किराम ने यज्ञ कुंड में आहुति देने के साथ इष्ट के प्रति आभार जताया। कहा, मोदी के चमत्कारिक नेतृत्व के साथ देश को दिव्य-दैवी कृपा भी मिल रही है। महंत गौरीशंकरदास एवं भाजपा नेता संत राजूदास के संयोजन में बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी भी गुलजार हुई। गौरीशंकरदास ने कहा कि यह जश्न का नहीं न्याय शिरोधार्य कर शांत-संयत और परस्पर मिल-जुल कर रहने का पर्व है। ...तो राजूदास ने कहा कि राम मंदिर के हक में फैसला आते ही ढांचा ढहाने के आरोपियों की बेगुनाही का संकेत मिलने लगा था। हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पांडेय एवं अधिवक्ता राजीव शुक्ल ने कहा, यह न्यायोचित निर्णय है।

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