
भिवंडी पालिका की घटिया इंजीनियरिंग का भंडाफोड़
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Aug 02, 2025
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उड़ान पुलों को पहनाया गया ‘डायफर’, बारिश ने खोल दी पोल !
भिवंडी। क्या भिवंडी के नागरिकों की जान की कोई कीमत नहीं है ? क्या महानगरपालिका प्रशासन को तब तक होश नहीं आएगा, जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता ? इन सवालों का जवाब तलाशते हुए जब हमारी टीम शहर के उड़ान पुलों की हालत देखने पहुँची, तो जो तस्वीर सामने आई, वह किसी भी संवेदनशील नागरिक को झकझोर कर रख दे।
स्व.राजीव गांधी उड़ान पुल, स्व.बाला साहेब ठाकरे उड़ान पुल, धामणकर नाका और स्व.ए.पी.जी.अब्दुल कलाम उड़ान पुल, इन तमाम पुलों की हालत बारिश के कुछ छींटों में ही नाले जैसी हो जाती है। पुलों के जॉइंट्स से पानी नहीं, मौत टपकती है। जाम पड़ी ड्रेनेज पाइपलाइन की वजह से पुल का गंदा, आयल मिला पानी सीधे नीचे गिरता है,राहगीरों और बाइक सवारों पर यह पानी इस तरह गिरता है, मानो पालिका ने उन्हें ‘कीचड़ स्नान’ का निमंत्रण दिया हो।
लेकिन असली हैरानी तब हुई, जब समस्या के समाधान के नाम पर पालिका इंजीनियरों ने पुलों को प्लास्टिक की थैली बांधकर डायफर पहना दिया ! जी हां, जिस तरह बच्चों को गंदगी से बचाने के लिए डायफर पहनाया जाता है, ठीक वैसे ही इंजीनियरों ने करोड़ों के इन पुलों को प्लास्टिक लपेटकर ‘डायफर’ पहना दिया—ताकि पानी नीचे न टपके ! जिसका जीता जागता सबूत स्वं.ए.पी.जी.उड़ान, रोलेक्स होटल के समाने दिखाई देता है। लेकिन बारिश ने न केवल इस जुगाड़ को धो डाला, बल्कि पालिका की लापरवाही और निकम्मेपन को भी नंगा कर दिया। पानी की धार और प्लास्टिक का खेल फेल हो गया—डायफर फट गया ! और इसका शर्मनाक वीडियो अब सोशल मीडिया वायरल हो रहा है।
क्या पालिका को शर्म आएगी ? शहर के नागरिकों की भावनाएं अब उबलने लगी हैं। “कहां गए वो इंजीनियर जो करोड़ों के बजट हजम करते हैं ? क्या यही है स्मार्ट सिटी की तैयारी ? प्लास्टिक का डायफर और लोगों की जिंदगी खतरे में ?” – यह आवाजें अब हर गली, हर चौराहे से उठ रही हैं। दक्ष नागरिकों की माने तो यह अब सिर्फ तकनीकी लापरवाही नहीं, सीधे-सीधे जनजीवन से खिलवाड़ है।
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