संसार में सबसे बडे भगवान हमारे मां बाप ही है- निर्मल शरण जी महराज




भदोही ।। जंगीगंज क्षेत्र के सोनैचा गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के संगीतमय प्रवचन में अयोध्या से पधारे कथावाचक निर्मल शरण महराज ने बडे ही मार्मिक ढंग से उपस्थित लोगों को भक्ति रस का पान कराया।
 प्रवचन में महराज ने बताया कि जब तक किसी कार्य को लेकर संतुष्टि न हो तो वह कार्य बेकार होता है। कहा कि दुख सुख के चक्कर न पडने वाला ही सच्चा संत है। और यह सब तभी संभव है जब भगवतकृपा होती है। महराज ने बताया कि अन्तर्मुखी साधना को ही उलटा नाम जपना बताया। कहा कि जब लोग अन्तर्मुखी साधना करते है तो बाह्यमुखी साधना श्रेष्ठ है। कहा कि परमहंसो की संहिता है श्रीमद्भागवत कथा। जो मित्र के दुख में दुखी नही होते वह मित्र  महान पातकी होता है। इसी के बारे में कहा कि दुर्योधन और अस्वस्थामा की गहरी मित्रता थी और इसी के वजह से अस्वस्थामा पांडवों को मारने के चक्कर में पांडव पुत्रों को मार दिया। पांडव पुत्रों की अश्वत्थामा द्वारा हत्या करने के बाद दुर्योधन का प्राणांत हो गया। क्योंकि दुर्योधन इस लिए दुखी था क्योकि उसके वंश में कोई पूर्वजों को पानी देने वाला नही बचा। महराज ने बताया कि माता के ऋण से कोई उऋण नही हो सकता है। क्योकि बच्चे के जन्म के समय ही 'मां' का जन्म होता है। क्योकि मां सोचती है कि हमारा बच्चा सहारा बनता है। लेकिन जब मां बाप को सहारे की आवश्यकता होती है तो अभागा पुत्र मां बाप से अलग हो जाता है।  कहा कि कथा सुनने और धार्मिक कार्य करने से कल्याण की इच्छा तो है। कहा कि मां बाप ही संसार के सबसे बडे भगवान है। इनका अनादर करने वाला पापी होता है और इनका अनादर करने वाले का कोई भी पुण्यकर्म फलित नही होता  है।

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