लापता मूकबधिर विकलांग पति की तलाश में भटक रही विकलांग पत्नी,, प्रशासन नहीं कर रहा सहयोग

गजरिया,जौनपुर । 

जौनपुर जनपद के  सरपतहां थाना क्षेत्र के गजरिया गांव निवासिनी महिला नीलम पत्नी राजबहादुर ने थाना अध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी, पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश  आदि अधिकारियों को अपने विकलांग, मूक बधिर पति राजबहादुर को देवर विजय बहादुर द्वारा अगवा किए जाने के संबंध में, लिखित रूप से प्रार्थना पत्र देकर शिकायत किया था किंतु अभी तक अपहरण के आरोपितों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही अगवा किए गए व्यक्ति का कोई पता चल पाया है।पुलिस प्रशासन से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही  व उदासीनता के चलते महिला को न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही है फिर भी उसे कोई सफलता नहीं मिल रही है ।पीड़िता ने उपजिलाधिकारी नीतीश कुमार को लिखित रूप से प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है। 

ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि जो व्यक्ति बिल्कुल असहाय है,विकलांग व मूकबधिर है तथा उसकी पत्नी भी विकलांग है,ऐसे लोगों को कैसे न्याय मिल सकेगा ? 

देश के प्रधानमंत्री महिला सशक्तिकरण,नारी सुरक्षा की बात करते हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी स्वयं को महिलाओं की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह से दृढ़ संकल्पित बताते हैं  किंतु प्रशासन द्वारा कार्रवाई करने में हीला हवाली, लीपापोती तथा घोर उदासीनता उनके बयानों की पोल खोलती दिखाई देती है। प्रशासन की उदासीनता के  परिणाम स्वरूप महिला को न्याय नहीं मिल पा रहा है। 

पीड़ित महिला ने अपने देवर और उनके कुछ साथियों के नाम से नामजद तहरीर दी है और आरोप लगाया है कि उसके पति के नाम से कई गांव में जमीन है और उसके देवर व साथी बहला फुसलाकर, दबाव डाल कर, जबरदस्ती जमीन की रजिस्ट्री अपने  नाम करवा सकते हैं । 

चिंताजनक विषय है कि तहरीर दिये 12 दिन हो गए , इसके बावजूद प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है ,जिससे यह पता चलता है कि 12 दिन से प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा पीड़िता की पीड़ा को दरकिनार करते हुए असहाय और पीड़ितों की खिल्ली उड़ा रहा है तथा सरकार की मंशा के विरुद्ध कार्य कर रहा है। अपराधी प्रशासन के सिर पर चढ़कर बोल रहे हैं अर्थात बिल्कुल भी भयभीत नहीं हैं।प्रशासन के नाकाम रवैये से अपराधियों के हौसले पूरी तरह से बुलंद हैं।


 इस मामले में अपराधियों पर प्रशासन का नियंत्रण पूरी तरह से समाप्त नजर आ रहा है।जब पीड़ित व्यक्तियों को अधिकारियों के कार्यालयों का निरंतर चक्कर लगाना पड़े तो इससे साफ जाहिर होता है कि प्रशासन द्वारा पीड़ित आम जनता को न्याय दिलाने के नाम पर उनसे सिर्फ विभाग का चक्कर लगवाया जा रहा है जिससे वह परेशान होकर न्याय की उम्मीद छोड़ दे और अपनी जमीन छोड़ने पर मजबूर हो जाय।

रिपोर्टर

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