वायु प्रदूषण से बढ़े अस्थमा के मरीज 250 साइंजिग व ड्राइंग कंपनियां उगल रही रही जहर

भिवंडी।। भिवंडी के नागरिक बस्तियों में संचालित ड्राइंग व साइंजिग कंपनियां अपने चिमनियों से निकालते जहरीले धुंआ के कारण वायु प्रदूषण में लगातार बढोत्तरी हो रही है। यही नहीं खराब व खस्ताहाल सड़क तथा निरंतर शुरू अवैध इमारतों के कारण शाम होते ही शहर में धुंध का गुब्बार फैल जाता है। जिसके कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। लगातार प्रदूषण फैलने के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। बतादें कि भिवंडी शहर के नागरिक बस्तियों में अवैध रुप से 250 साइंजिग व ड्राइंग कंपनियां संचालित है। इन कंपनियों के वायलर में कपड़ा, लकड़ी, चिंदी, टायर, रबर, बेस्टेट आदि जलाकर भांप तैयार किया जाता है। जिसके कारण चिमनियां भारी मात्रा में जहरीला धुंआ वायु मंडल में छोड़ती है। यही नहीं इनके चिमनियों से निकलते धुंआ के से आस- पास की रहिवासी बस्तियों में काली राख पसर जाती है। भिवंडी मनपा का प्रदूषण विभाग इन कंपनियों पर कार्यवाही करने के बजाय इनका लाइसेंस रिन्यूअल करने में मस्त है। जिसमें भारी भष्ट्राचार होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

प्रदूषण मापने वाली मशीन बंद : प्रदूषण कंटोल विभाग द्वारा शहर का वायु प्रदूषण मापने के लिए तीन स्टेशन स्थापित किये गये है। जिसमें स्वं इंदिरा गांधी उप जिला अस्पताल के सामने बनी फायर बिल्डिंग की ऊपरी मंजिल के ट्रेरिस पर, वाराला देवी मंगल भवन  के ऊपरी मंजिल तथा कल्याण के प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड की छत पर मशीनों का समावेश है। मशीनों को चलाने व देखभाल करने तथा डेली रिपोर्ट के लिए प्रदूषण बोर्ड प्रति वर्ष लगभग 3 लाख 40 हजार रुपये खर्च कर ठेकेदार पद्धति से एक केमिस्ट तथा तीन सहायक केमिस्ट कर्मचारियों की नियुक्ति की है। जिन्हें केमिस्ट 40 हजार रुपये व सहायक केमिस्ट व हेल्परों को 14,500 रुपये प्रतिमाह वेतन का भुगतान करती आ रही है। चूंकि सभी मशीनें कई वर्षों से बंद है। जिसके कारण कर्मचारी मशीनों पर काम ना करते हुए मनपा के प्रदूषण विभाग की कुर्सी तोड़ने में लीन रहते हैं। हालांकि इन कर्मचारियों को  मनपा के प्रदूषण विभाग कोई लेना देना नहीं है। इसके बावजूद ठेकेदारी पद्धति से मशीनों पर काम करने वाले कर्मचारी डांइग, साइंजिग कंपनियों में विजिट करते रहते हैं।यही नहीं मनपा के प्रदूषण विभाग की फाइलों में भी हेराफेरी करते हैं। जिसके कारण विभाग प्रमुख की रोजी रोटी चलती रहती है। सूत्रों की माने तो उक्त तीनों स्टेशनों पर आपातकालीन जैसी ड्यूटी देने के लिए इन कर्मचारियों की नियुक्त की गयी है। आश्चर्य की बात यह कि कर्मचारी स्टेशनों पर से दो से तीन महीने तक नदारद रहते हैं।

विभाग में भष्ट्राचार का साम्राज : भिवंडी मनपा के प्रदूषण विभाग के पास जहर उगल रही डांइग साइंजिग कंपनियों पर कार्यवाही करने का अधिकार नहीं होता है। विभाग सिर्फ इन कंपनियों को एन ओसी जारी करता है। जिसमें में भारी भष्ट्राचार होता है। सूत्रों की माने तो विभाग ने भष्ट्राचार करने के लिए एक अनोखा तरीका ढूंढ रखा हुआ है। फर्जी व बोगस प्रदूषण संबंधी शिकायतें करवाया कर कंपनी बंद करवा देने की धमकी दी जाती है। फिर लेन देन कर बंदरबाट का खेल शुरू हो जाता है। एक कंपनी प्रबंधक की माने की साइंजिग कंपनियों की प्रतिवर्ष NOC के पांच हजार तथा ड्राइंग कंपनियों के NOC के लिए दस हजार वार्षिक फीस है। किन्तु कंपनियो के प्रबंधकों से NOC के बदले 40 से 50 हजार रुपये वसूल किया जाता रहा है। क्या मनपा आयुक्त इस भष्ट्राचार कर रोक लगा पायेगें जिसपर जागरूक नागरिकों ने निगाहें बनाकर रखा हुआ है। 

रिपोर्टर

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