मातृ एवं शिशु मृत्यु को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ आयोजन

सरकारी एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों में होने वाली मातृ मृत्यु पर लगाम लगाने की कवायद 

सुमन कार्यक्रम द्वारा मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने का है प्रयास  

बक्सर ।। जिले में मातृ व शिशु मृत्यु को कम करने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति के सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें चाइल्ड हेल्थ के स्टेट कंसलटेंट तुषार कांत उपाध्याय व प्रोग्राम फ़ॉर एप्रोप्रियेट टेक्नोलॉजी इन हेल्थ (पाथ) के स्टेट पब्लिक हेल्थ कोऑर्डिनेटर अरुण कुमार ने जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों के साथ साथ सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया। तत्पश्चात सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट व अन्य पदाधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर प्रशिक्षण की शुरुआत की। स्टेट कंसलटेंट तुषार कांत उपाध्याय ने बताया, इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य सरकारी व निजी स्वास्थ्य संस्थानों में होने वाली मातृ मृत्यु के कारणों का पता लगाना और भविष्य में उन कारणों से किसी भी गर्भवती की मृत्यु न हो यह सुनिश्चित करना है। ताकि, किसी भी स्तर पर और कहीं भी किसी गर्भवती महिला या शिशु की मृत्यु न हो सके। मौके पर सदर अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. भूपेंद्र नाथ, डीपीएम संतोष कुमार, डीपीसी जावेद आब्दी, डीसीएम संतोष कुमार राय, जिला क्वालिटी कंसलटेंट रुचि कुमारी, केयर के फैमली प्रग्राम कोऑर्डिनेटर पंकज कुमार व अन्य मौजूद रहे।

एमडीएसआर की बारीकियों को जानना होगा :

स्टेट कंसलटेंट तुषार कांत उपाध्याय ने बताया,  मेटरनल डेथ सर्विलांस एंड रिस्पांस (एमडीएसआर) कार्यक्रम को समझने के लिए सबसे पहले उसकी बारीकियों को जानना होगा। गर्भावस्था या गर्भावस्था की समाप्ति के 42 दिनों के भीतर महिला की मृत्यु, गर्भावस्था के किसी भी अवधि या स्थान पर गर्भ का गर्भाशय के अंदर या बाहर किसी भी स्थान पर ठहरने पर तथा गर्भावस्था या उससे संबंधित जटिलताओं या उसके प्रबंधन के दौरान मृत्यु आकस्मिक या दुर्घटनावश मृत्यु, मातृ मृत्यु नहीं कहलाती है। वहीं, नवजात मृत्यु जन्म से 28 दिन के अंदर हुई मृत्यु, एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु व 5 साल से कम कम उम्र के बच्चों की मृत्यु को शिशु मृत्यु की कैटेगोरी में रखा गया है। उन्होंने बताया, मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि जिला स्वास्थ्य समिति यह सुनिश्चित करे की यदि कहीं भी इस प्रकार के मामले उजागर होते हैं तो उसकी सूचना उन तक अनिवार्य रूप से पहुंचे।

सरकार ने सुमन कार्यक्रम की शुरूआत की है :

स्टेट पब्लिक हेल्थ कोऑर्डिनेटर अरुण कुमार ने बताया, जिला स्वास्थ्य समिति को मातृ व शिशु मृत्यु के मामले का रिव्यू कर मासिक रिपोर्ट करना चाहिए। इसके लिए सभी आशा व एएनएम को यह निर्देशित करना होगा कि क्षेत्र में मातृ मृत्यु की सूचना शत-प्रतिशत दी जाये। वैसी मातृ तथा शिशु मृत्यु के मामलों की रोकथाम को शून्य करने के उदेश्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अन्तर्गत भारत सरकार ने सुमन कार्यक्रम की शुरूआत की है। उन्होंने बताया, निजी स्वास्थ्य संस्थान ऐसे मामलों की रिपोर्ट बहुत कारणों से नहीं देते हैं। लेकिन, सम्बंधित उन्हें यह समझना होगा की सरकार का उद्देश्य केवल सम्बंधित फैसिलिटी में होने वाली मृत्यु के कारणों की जानकारी लेने है न की निजी डॉक्टर और संस्थानों पर किसी प्रकार का कोई दंड या कार्रवाई करना।

चार माध्यमों से दी जायेगी सूचना:

• 104 नंबर पर कॉल के माध्यम से 

• वेब पोर्टल के माध्यम से 

• एसएमएस के द्वारा बीएचएम व एमओआईसी को 

• स्वास्थ्य संस्थान के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से मिलकर

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