सरकारी उपेक्षा का शिकार सिद्धेश्वर मंदिर थोड़े प्रयास से पर्यटन का ले सकता है रूप

औरंगाबाद। महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले और शनि शिंगणापुर महामार्ग स्थित प्रवरा-गोदावरी  संगम के तट पर बना सिध्देश्वर मंदिर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है। मंदिर प्रांगण में तो कुछ चीजें देखने लायक बची हैं, लेकिन मंदिर के बाहर तो वीरानी छाई हुई है। इस धार्मिक अलौकिक संगम तट को विकसित नहीं किया गया है, जिससे नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं यहां पर सुरक्षा की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर हमेशा  खतरा मंडराता रहता है। 

मंदिर के विकास की उठी मांग


धार्मिक स्थलों के भ्रमण पर निकले ज्योतिषाचार्य अतुल शास्त्री, आचार्य नित्यानंद मिश्र, दैनिक नवभारत के ठाणे प्रभारी राकेश पांडेय, वरिष्ठ  पत्रकार एच पी तिवारी शिक्षिका सुमन तिवारी एवं अन्य तीर्थयात्रियों ने संयुक्त रूप से सरकार से मांग की है कि इस देव स्थल को विकसित किया जाए।

3 नदियों का मनमोहक संगम

बतादें कि इस पवित्र स्थल पर तीन नदियों गोदावरी, प्रवरा और मुला नदी का संगम है। नदियों का संगम होने के कारण दूर दूर तक जल का मनमोहक नजारा देखा जा सकता है, जो लोगों को बरबश अपनी ओर आकर्षित करता है। मिली जानकारी के अनुसार, इसी संगम तट पर लगभग 2200 साल पुराना ऐतिहासिक श्री सिध्देश्वर शंकर भगवान का प्राचीन मंदिर है, लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते इस स्थल पर लोगों की भीड़ नहीं उमड़ती। भोले बाबा के मंदिर के अलावा यहां अन्य कोई दर्शनीय वस्तुओं का निर्माण नहीं कराया गया है। 

पर्यटकों के बढ़ने से सरकार की भरेगी झोली


यहां पर पेड़ पौधों से आच्छादित पार्क एवं अन्य सुविधाएं विकसित की जाए तो यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आएंगे। इससे सरकार की तिजोरी में जहां धन की वर्षा होगी, वहीं स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध होंगे। साथ ही इस स्थान का नाम विश्व की धरोहरों में शुमार हो जाएगा। हाइवे से सटा होने के साथ यहां पर्याप्त जमीन है जिसे विकसित किया जा सकता है। सरकार यदि थोड़ा भी ध्यान दे तो यह पर्यटन का रूप ले सकता है। ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री के नेतृत्व में धार्मिक स्थलों का दर्शन करने निकले श्रद्धालु जब सिद्धेश्वर मंदिर पहुंचे, तो यहां की अद्भुत धरोहर शिव मंदिर को देख कर मन भावभिभोर हो गया, मगर यहाँ की दुर्दशा को देख कर सभी का मन व्यथित भी हुआ। 

अन्य धार्मिक स्थल भी उपेक्षित


वरिष्ठ पत्रकार राकेश पांडेय और एच पी तिवारी ने बताया कि स्थानीय लोगों से बात करने पर पता चला कि औरंगाबाद और आसपास के क्षेत्रों में बहुत से ऐसे स्थान हैं जो सरकारी उदासीनता के चलते वीरान होते जा रहे हैं। इस ओर प्राथमिकता से प्रशासन को काम करने की जरूरत है, जिससे देश की अनमोल धरोहर को आने वाली पीढ़ियों को दिखाया और बताया जा सके।

रिपोर्टर

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