विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर टीबी चैंपियंस किये गये सम्मानित
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Mar 24, 2022
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पटना ।। टीबी मुक्त भारत निर्माण को लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। इसके लिए हर जरूरी पहल भी की जा रही है। इसी कड़ी में 24 मार्च को विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर गुरुवार को जिला टीबी कार्यालय, अगम कुआँ, पटना में समुदाय में टीबी के बारे में जागरूकता फैलाने के अहम् योगदान को देखते हुए राज्य के टीबी चैंपियंस को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया और उनका उत्साहवर्धन किया गया. इस अवसर पर जिला यक्ष्मा विभाग के कर्मचारियों को भी अलंकृत किया गया.
टीबी उन्मूलन जन जागरूकता के संग- डॉ. अजय कुमार सिंह:
जिला यक्ष्मा विभाग के वरीय चिकित्सा पदाधिकारी डॉ . अजय कुमार सिंह ने कहा कि टीबी के उन्मूलन के लिए साल 2025 का लक्ष्य निर्धारित है. इसके लिए जनमानस में व्यापक रूप से इस रोग को लेकर जागरूकता फैलाने की जरुरत है. लक्षण नजर आने के बावजूद लोग ज्यादातर यह मानने को तैयार नहीं होते हैं कि उन्हें टीबी है और उन्हें तत्काल चिकित्सकों से संपर्क कर उपचार शुरू करवाना चाहिए. इसमें टीबी चैंपियंस की भूमिका अहम् है क्यूंकि वे इस रोग को मात देकर अब समुदाय में टीबी के बारे में जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं. डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि विश्व यक्ष्मा दिवस प्रथम बार 24 मार्च, 1882 में मनाया गया था.
10 टीबी चैंपियंस किये गए सम्मानित:
समारोह में राज्य के विभिन्न जिलों से आये हुए 10 टीबी चैंपियंस को जिला यक्ष्मा कार्यालय के चिकित्सकों द्वारा सम्मानित किया गया. कुछ टीबी चैंपियंस ने इस रोग से अपनी लड़ाई के अनुभव को साझा किया और बताया कि समुदाय को जागृत करने की जरुरत है तभी देश साल 2025 तक टीबी मुक्त हो सकेगा.
ना डरें ना दूसरों को टीबी रोग से डराएँ- डॉ. मिथिलेश कुमार
जिला यक्ष्मा कार्यालय के चिकित्सक डॉ. मिथिलेश कुमार ने बताया कि टीबी रोग दवा के कोर्स के पूरे सेवन से पूर्णतः ठीक हो सकता है. लक्षण नजर आते ही इसकी तत्काल जांच कराना आवश्यक है. इस रोग के बारे में कई भ्रांतियां समुदाय में व्याप्त हैं जिन्हें दूर करने की जरुरत है. लोगों को चाहिए की वे टीबी से डरें नहीं और न दूसरों को डराएँ. जिला यक्ष्मा कार्यालय के चिकित्सक डॉ. ऋषि कपूर ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया है की एक लाख की आबादी में कम से कम 154 लोगों की टीबी जांच हो और बिहार भी इस लक्ष्य के करीब पहुँच रहा है और राज्य में प्रति लाख 104 व्यक्तियों की जांच की जा रही है.
इस अवसर पर जिला यक्ष्मा कार्यालय के कर्मचारीगण एवं सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी.
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