मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए गर्भावस्था के दौरान उचित प्रबंधन बेहद जरूरी

आरा ।। गर्भावस्था महिलाओं को काफी सतर्कता और सावधानी के साथ अपनी दिनचर्या का पालन करना होता है। ताकि, गर्भस्थ शिशु को किसी प्रकार की परेशानी न हो। लेकिन, जब गर्भवती महिला किसी गंभीर बीमारी से जूझ रही हो, तो उनकी देखभाल की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ऐसी ही एक बीमारी है मधुमेह यानी की शुगर। जिससे ग्रसित गर्भवती महिलाओं को खानपान के साथ अन्य बातों का काफी ज्यादा ख्याल रखना पड़ता है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान ऐसी पीड़ित महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने से ही सुरक्षित और सामान्य प्रसव संभव है। इसको लेकर सरकार द्वारा भी हर जरूरी प्रयास की जा रही है और स्थानीय स्तर भी समुचित जांच और उचित प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। इसलिए, ऐसे पीड़ित गर्भवती के लिए गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जांच जरूर कराना चाहिए। 

जरा सी लापरवाही बन सकती है परेशानी का सबब : 

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से पीड़ित महिलाओं का समय जांच और आवश्यक उपचार जरूरी है। जरा सी लापरवाही बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है। दरअसल, मधुमेह के प्रति लापरवाही करने से ना केवल गर्भवती को भी अनावश्यक परेशानियाँ से सामना पड़ सकता है। बल्कि, गर्भस्थ शिशु का विकास भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए, सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की जाँच जरूर कराना चाहिए। ताकि समय पर परेशानी का पता चल सके और ससमय ही जरूरी इलाज ही सुनिश्चित हो सके। जिले के सभी स्वास्थ्य स्थानों में मधुमेह जांच की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। 

गर्भपात की संभावना भी रहती है प्रबल : 

यदि समय से उपचार नहीं हो पता है तब आगे चलकर प्रसूता एवं गर्भस्थ शशु में विभिन्न जटिलताएं हो सकती है एवं दोनों टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हो सकते हैं। इससे गर्भवती में इन्फेक्शन, प्रसव अवधि में बढ़ोतरी, जटिलतापूर्ण प्रसव, सिजेरियन प्रसव, प्रसव के बाद गर्भाशय का सिकुड़ नहीं पाना एवं प्रसव के बाद अत्यधिक रक्त स्त्राव जैसी तमाम जटिल समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिससे प्रसूता की जान पर भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। गर्भावस्था जनित मधुमेह से गर्भस्थ शिशु को भी समस्या हो सकती है। इससे गर्भस्थ शिशु की मृत्यु, मृत शिशु का जन्म, बर्थ डिफेक्ट, बर्थ इन्जरी एवं नवजात शिशु में ग्लूकोज की कमी के साथ पहले तीन महीने में अचानक गर्भपात की संभावना 30 से 60 प्रतिशत तक हो सकती है। 

पोषण संबंधी जानकारी दी जानी अति आवश्यक : 

इसके उपचार के लिए सरकार द्वारा तीन व्यवस्थाएं की गयी है। पहला भोजन एवं पोषण संबंधित, दूसरा दवाई द्वारा एवं तीसरा इन्सुलिन इंजेक्शन के द्वारा। गर्भावस्था में मधुमेह से पीड़ित महिला को पोषण संबंधी जानकारी दी जानी अति आवश्यक है। जिससे वह समझ सकें कि गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए पोषण युक्त आहार क्या है। उपयुक्त वजन में बढ़ोत्तरी कितनी होनी चाहिए एवं खून में सामान्य ग्लूकोज स्तर को प्राप्त करने एवं बनाये रखने के लिए कितना और कौन सा भोजन लेना है। जिन मधुमेह पॉजिटिव महिलाओं का मधुमेह पोषण संबंधित उपचार से नियंत्रित नहीं होता है, उन्हें दवा दी जाती है। साथ ही जब दवा सेवन के बाद भी मधुमेह अनियंत्रित होता है तब चिकित्सक द्वारा इंजेक्शन द्वारा इन्सुलिन का डोज दिया जाता है।

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