चावल के उत्पादन में गुणवत्ता सुधार पर आयोजित हुई एक दिवसीय कार्यशाला

प्रकाश शुक्ल की रिपोर्ट

जौनपुर /सुल्तानपुर ।। पारंपरिक रूप से बासमती चावल का विदेशी निर्यात 26000 करोड़ का प्रतिवर्ष होता था जबकि वर्तमान वर्ष में अन्य प्रजातियों के चावल का निर्यात अप्रत्याशित रूप से 180 लाख टन रहा।वर्तमान वर्ष में कृषि निर्यात ने अप्रत्याशित रूप से 50 बिलियन डालर के स्तर को छू लिया है।

इस अप्रत्याशित चावल के निर्यात में आए उछाल से उत्साहित होकर  कृषि निर्यात को बढ़ावा देने वाली भारत की सर्वोच्च संस्था एपेड़ा  तथा बीईबीएफ मेरठ उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रयास से इस संबंध में कई पहल किए गए हैं। प्रगतिशील कृषक, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञ,उद्योगों के प्रतिनिधि तथा युवा कृषि स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र को ध्यान में रखकर निर्यात हेतु चावल के उत्पादन में  गुणवत्ता उन्नयन तथा उत्तर प्रदेश बिहार एवं झारखंड राज्य में विभिन्न फसलों के प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय तकनीकी सत्र का आयोजन विगत 11 जून को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में केएनआईपीएसएस सभागार में किया गया।

कमला नेहरू इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी सुलतानपुर के प्रांगण में आयोजित किया गए कार्यशाला में 300 से ज्यादा कृषक, शोध छात्र,कृषि स्नातक विद्यार्थी एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक तथा अन्य विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक तथा उद्योग जगत के प्रतिनिधियों द्वारा भी इस कार्यशाला में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई गई।

उद्घाटन सत्र में  संस्थान के प्राचार्य डॉ आलोक कुमार सिंह द्वारा सभी आगंतुकों का स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ बीएन सिंह एवं एपीडा के प्रतिनिधि मुख्य वक्ता एवं प्रतिष्ठित कृषि विज्ञानी डॉ रितेश शर्मा तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभागाध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र उपस्थित थे।

इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में  श्री काली कांत चौधरी उप परियोजना निदेशक आत्मा सिवान बिहार, डॉ अरविंद सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र संत कबीर नगर, डॉ एस पी गिरी विख्यात चावल वैज्ञानिक द्वारा चावल की खेती के महत्वपूर्ण गुर सिखाए गए। अन्य प्रांतों से आये अन्य बहुत सारे कृषकों ने भी चावल उत्पादन को लेकर अपने विचार परस्पर साझा किया। 

देश के अन्य  प्रांतों से आए कृषि  वैज्ञानिकों में भोपाल से आए हुए वैज्ञानिक डॉ ए के विश्वकर्मा, तमिलनाडु से आए हुए डॉ केसी शिवबलन,  डायरेक्टरेट आफ राइस रिसर्च  हैदराबाद के  प्रधान वैज्ञानिक डॉ बृजेंद्र एवं कृषि विज्ञान केंद्र लातेहार झारखंड राज्य के डॉक्टर ब्रह्मदेव यादव, डॉ. यादवेन्द्र चावल वैज्ञानिक, हैदराबाद आदि ने विभिन्न तकनीकी सत्रों में चावल उत्पादन एवं निर्यात के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

इस कार्यशाला में विशेष योगदान के लिए डॉ मनोज मिश्र, डॉक्टर के सी शीबालन, डॉक्टर रितेश शर्मा डॉ एके विश्वकर्मा तथा डॉक्टर यादवेंद्र शुक्ल को सम्मानित किया गया।

इस एक दिवसीय कार्यशाला का मुख्य लक्ष्य सभी भागीदारों को निर्यात के लिए बढ़ावा देना एवं प्राकृतिक खेती के प्रति संवेदीकरण करना था।यह कार्यशाला अपने उद्देश्य में सफल रही कार्यशाला के अंत में प्रगतिशील कृषकों को उत्कर्ष कृषि सम्मान द्वारा सम्मानित भी किया गया।

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