आजादी के बाद न तो नथुआ गांव की तस्वीर बदली न ही बदली ग्रामीणों की तकदीर

नथुआं के ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नहीं ,न सड़क बनी न गली- नाली, बांस के सहारे तार खींच बिजली का उपयोग जोखिम भरा,मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना भी पूर्णतः फेल

राजीव कुमार पाण्डेय 


रामगढ़(कैमूर) ।। आपको जानकर हैरानी के साथ आश्चर्य होगा कि कैमूर जिले के रामगढ़ प्रखंड में एक गांव ऐसा भी है जहां पर आजादी के 76वर्ष बाद भी पक्की सड़क निर्माण कार्य नही हुआ है।मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना से बनने वाला सड़क,नाली गली निर्माण से यह गांव पूर्णतःवंचित है। सिसौड़ा मुखरांव राज्य महामार्ग में नथुआं ब्रह्म स्थान से गारा चौबे नहर पर स्थित बलुआं के लिए सड़क तो निकली है जो नथुआं गांव के करीब से गुजरती है वैसे देखा जाय तो उक्त सड़क से नथुआं के ग्रामीणों का भी आना जाना है लेकिन यह सड़क महूआरी और बलुआं के लिए बनी है न कि नथुआं के लिए।उक्त गांव के ग्रामीणों ने उदारता दिखाते हुए महुआरी गांव की सड़क के लिए अपनी रैयती जमीन भी दे दी। उन्हें उम्मीद थी कि शायद इस उदारता के प्रतिफल मे इस गांव के भी दिन बहुरेंगे लेकिन कुछ मिला नहीं । जिससे उस गांव के ग्रामीण अपने की छला महसूस कर रहे हैं ।वैसे देखा जाय तो ऐसा प्रतीत होता है कि नथुआं गांव के लिए सरकार की कोई योजना संचालित हीं नही है क्योंकि आज तक कोई भी सरकारी योजना इस गांव में क्रियान्वित नही हो सकी है।ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत गांव में के पोल तार खींच दिया गया है । अलग से ट्रांसफार्मर भी लगा दिया गया है लेकिन अभी तक इससे घरों में बिजली की सप्लाई नहीं दी जा सकी है । तार पोल और टांसफार्मर लगाए तीन वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका है । सिंचाई के लिए बिजली है खंभे खड़े हैं लेकिन खंभों पर तार नही झूला हुआ है।ग्रामीण किसी तरह से बांस को गाड़कर तार खींचकर (झुलाकर) बिजली का उपयोग करने को विवश हैं।ऐसी स्थिति में कभी भी कोई बड़ी अनहोनी घटित हो सकती है।लेकिन पता नहीं क्यों बिजली विभाग भी इसका सुध नहीं ले रहा है।भारतीयों को चाहे वह गांव में वास करते हों या शहरों में उन्हें आजादी व गणतंत्र के निर्माण से विकास की राह दिख रही होगी ,लेकिन अपने साथ वर्षों से उपेक्षा को दर्शाता स्थानीय प्रखंड का गांव नथुआं विकास से नदारद रहने का आज भी गवाही दे रहा है।जहां देश गणतंत्र का 74वां वर्षगांठ मना रहा है।महात्मा गांधी के सपने व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा संचालित कार्यक्रम पंचायती राज व मुख्य मंत्री सात निश्चय योजना भी इस मामले में फिसड्डी साबित हुआ है।ज्यादा जोगी मठ उजाड़ कहावत भी चरितार्थ होती दिख रही है क्योंकि गांव के निवासी शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं।

जाने क्या कहते हैं ग्रामीण

मामले की जानकारी देते हुए उक्त गांव के निवासी समाजसेवी शिक्षक अरविंद पाण्डेय ,अखिलानंद पाण्डेय,कैलाश पाण्डेय,जनार्दन पाण्डेय व करुणानिधान पाण्डेय ने बताया कि आजादी के समय से ही मेरे गांव में आज तक पक्की सड़क का निर्माण नही हो सका है।मुख्य मंत्री सात निश्चय योजना के अंतर्गत निर्माण होने वाली गली नाली व नलजल का एक भी घर में कनेक्शन नहीं दिया गया है या अन्य कोई कार्य नही हुआ है।गांव में बिजली तो आई है लेकिन बांसों के सहारे लोग उसका उपयोग करने को विवश हैं ।कभी भी कोई बड़ी जानलेवा घटना घटित हो सकती है।आगे उन्होंने बताया कि पंचायती राज के तहत पूर्व के मुखिया द्वारा भी गांव में  गली नाली सड़क निर्माण के लिए एक भी कार्य नही किया गया है।पंचायती राज विभाग से बनने वाली नली गली सड़क निर्माण योजना  मेरे गांव में फिसड्डी साबित हुई है। आजादी के बाद से अब तक गांव में कोई भी सरकारी योजना कार्यान्वित नही हो सकी है ।

जाने क्या कहते हैं वार्ड सदस्य

वार्ड 10 के वार्ड सदस्य प्रदीप ने मामले के संबंध में कहा कि ग्रामीणों का कथन सत्य है।मैने गली नाली निर्माण के लिए योजनाएं दर्ज कराई है लेकिन कार्य मुखिया को करना है इसलिए मैं विवश हूं।

जाने क्या कहते हैं मुखिया

वहीं पंचायत के मुखिया ने मामले के संबंध में कहा कि ग्रामीणों का कहना उचित है।उक्त वार्ड में दो गांव आते हैं नथुआं और उपाध्यायसागर पूर्व के मुखिया द्वारा उस वार्ड के उपाध्यायसागर गांव में कार्य कराया गया है। नथुआं गांव में आजादी से अबतक कोई कार्य नही हुआ है ।

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