मदारीपुर भेला के ग्राम पंचायत अधिकारी राजकुमार पर सूचना आयोग ने लगाया 25000 रुपए का जुर्माना

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों का हौसला हुआ बुलंद


सूचना का साक्ष्य प्रस्तुत न करने पर आयोग ने की ग्राम पंचायत अधिकारी पर कार्रवाई


सुईथाकला जौनपुर ।। विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत मदारीपुर भेला के ग्राम पंचायत अधिकारी राजकुमार को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत गांव के इंदल कुमार द्वारा मांगी गई सूचना न देना भारी पड़ गया।सूचना मांगने पर ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा सूचना देने में आनाकानी करने पर अजय कुमार उप्रेती राज्य सूचना आयुक्त की पीठ द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के अधीन जनसूचना अधिकारियों पर 250 रुपए प्रतिदिन की दर से 25000 रुपए का अर्थदंड लगाया गया है। सूचना आयोग ने आदेश दिया है कि 3 महीने के भीतर आयोग के आदेश का अनुपालन करते हुए संबंधित जन सूचना अधिकारी राजकुमार ग्राम पंचायत अधिकारी के वेतन से अधिरोपित अर्थदंड की वसूली कराया जाना सुनिश्चित करें।

आयोग ने अपीलकर्ता इंदल कुमार को सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए विपक्षी जन सूचना अधिकारी को आदेशित किया था ।आयोग ने यह चेतावनी दी थी कि सूचनाएं न उपलब्ध कराने कि स्थिति में दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। आयोग में जन सूचना अधिकारी द्वारा अपीलकर्ता को सूचनाएं उपलब्ध न कराने,अपीलकर्ता को भेजी गई सूचनाओं का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया।यह स्थिति भी स्पष्ट नहीं की गई कि अपील कर्ता को वांछित सूचनाएं कब व किस माध्यम से प्रेषित किया गया।विपक्षी जन सूचना अधिकारी को नोटिस जारी करने के बाद भी न तो सूचनाएं उपलब्ध कराई गई और न ही आयोग द्वारा अवसर दिए जाने पर सुनवाई की तिथि पर आयोग के समक्ष कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया।सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन न करने, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7(1) के तहत अपील कर्ता को मूल आवेदन पत्र के क्रम में वांछित सूचनाएं 30 दिनों के भीतर उपलब्ध न करने तथा 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराई गई।गौरतलब है कि अपीलकर्ता ने पूर्व प्रधान अजय कुमार पर लाखों रुपए के घोटाले का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा को तीन प्रति में हलफनामा देकर कराए गए विकास कार्यों को चुनौती दी है। 13 बिंदुओं पर दिए गए हलफनामे में से मात्र दो कार्यों का अभिलेख संबंधित अधिकारी कर्मचारी दे सके हैं। पूर्व प्रधान सहित संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। इस कार्रवाई से भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों कर्मचारियों में खलबली मच गई है। 25000 के जुर्माने से दंडित किए जाने को लेकर पीड़ित आम जनमानस को यह सकारात्मक संदेश मिल रहा है कि वह उम्मीद न छोड़ें और आयोग पर विश्वास करें और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं। सूचनाएं न देना किसी भी अधिकारी कर्मचारी के ऊपर गाज गिर सकती है और उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है।

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