गर्मी में बच्चों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत: डॉ. दिलीप सिंह

- सदर अस्पताल में जिले के सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

- मास्टर ट्रेनरों को एईएस/जेई रोकथाम और एमएमडीपी किट के प्रयोग की दी गई जानकारी

छपरा ।। जिले में फाइलेरिया उन्मूलन और एईएस/जेई के मद्देनजर जिला स्वास्थ्य समिति सख्त है। इस क्रम में जिला स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक लोगों को जागरूक करते हुए इन रोगों की रोकथाम की तैयारी में जुटा हुआ है। इसके लिए सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के चिकित्सकों और कर्मियों को फाइलेरिया और एईएस/जेई के संंबंध में प्रशिक्षण दिया जाएगगा । इस क्रम में सोमवार को जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में मास्टर ट्रेनरों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन करते हुए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप सिंह ने बताया कि गर्मी में बच्चों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि इसी समय में एईएस-चमकी रोग के बढ़ने की आशंका ज्यादा रहती है। अप्रैल से जुलाई तक के महीनों में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए सभी मास्टर ट्रेनर अपने अपने प्रखंडों में स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे। जिसके बाद वो लोगों को एईएस/जेई और एमएमडीपी को लेकर जागरूकता फैलाएंगे। जिसमें जिले के सभी एमओआईसी, हेल्थ मैनेजर, बीसीएम, वीबीडीसी व कालाजार बीसी शामिल हुए। इस दौरान पटना से आए केयर इंडिया के ट्रेनर डॉ. इंद्रानाथ बैनर्जी ने एमएमडीपी किट  और उसके प्रयोग के संबंध में बताया। वहीं, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक सह प्रशिक्षक डॉ. संदीप कुमार ने एईएस के  संबंध में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही, पीपीटी के माध्यम से एमएमडीपी किट के इस्तेमाल और मरीजों के लिए व्यायाम के संबंध में बताया गया।

एक से 15 वर्ष तक के बच्चे होते हैं ज्यादा प्रभावित :

प्रशिक्षक डॉ. संदीप कुमार ने कहा कि हर साल गर्मियों के दिनों में दिमागी या चमकी बुखार का खतरा बढ़ जाता है। इस बीमारी से एक से 15 वर्ष तक के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं। यह एक गंभीर बीमारी है। जो समय पर इलाज से ठीक हो सकता है। अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में यह बीमारी फैलती है। उन्होंने कहा कि चमकी को धमकी के तहत तीन बातों को जरूर याद रखना चाहिए। खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ। बच्चे को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाए और देखें बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं है। बेहोशी या चमकी को देखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से अस्पताल ले जाना चाहिए। वहीं, चमकी आने की स्थिति में मरीज को करवट या पेट के बल लेटना चाहिए। शरीर के कपड़े को ढीला कर दें। मरीज के मुंह में कुछ भी नहीं डालें।

हाथीपांव के मरीजों के लिए पांव की देखभाल जरूरी :

ट्रेनर डॉ. इंद्रनाथ बनर्जी ने बताया कि फाइलेरिया के हाथीपांव के मरीजों के लिए उनके पैरों की देखभाल बहुत जरूरी होता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्रेड-4 के ऊपर के मरीजों को एमएमडीपी किट उपलब्ध कराया जाता है। जिसके प्रयोग के वो अपने पैरों को साफ सुथरा रख सकेंगे। इसके लिए सभी प्रखंडों के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों को एमएमडीपी किट का प्रयोग करने के पूर्व मरीजों को डेमो दिखाया जाएगा। जिससे वे उपचार की विधि समझ सकें। उन्हें बताया जाए कि हाथीपांव के मरीज उपचार के समय पहले पैर पर पानी डाल लें। उसके बाद हाथ में साबुन लेकर उसे हलके हाथ से रगड़ें और झाग निकालें। जिसके बाद हल्के हाथ से पैर में घुटने से लेकर उंगलियों व तलुए तक साबुन लगायें। जिसके बाद हल्के हाथ से घुटने से पानी डालकर उसे धो लें। जिसके बाद तौलिया लेकर हल्के हाथ से पोछ लें। इसके बाद पैर में जहां पर घाव हो वहां पर एंटी फंगल क्रीम लगायें।

मौके पर एसीएमओ डॉ. हरिश्चंद्र प्रसाद, वीबीडीसी सुधीर कुमार, केयर इंडिया के वीएल डीपीओ आदित्य कुमार समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।

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