सभी के सहयोग से ही पंचायतों को बनाया जा सकता है टीबी मुक्त: डॉ. शालिग्राम

बक्सर ।। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की गति देने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र लगातार प्रयासरत है। पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने के लिए प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के कार्यों का निरंतर अनुश्रवण किया जा रहा है। इस क्रम में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय व डीटीसी के अधिकारियों ने डुमरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का जायजा लिया। जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की प्रगति की समीक्षा की। इस क्रम में सभी कार्य संतोषजनक पाए गए। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायतों के लिए केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन्स जारी किए हैं। जिसके तहत एक लाख की आबादी पर जिससे टीबी के लक्षणों वाले 1500 मरीजों की जांच करनी है। जिसके लिए प्रखंड अंतर्गत एसटीएस और एसटीएलएस अपने स्तर से फ्रंटलाइन वर्कर्स, एएनएम, जीविका समूह और सीएचओ के माध्यम से लोगों को जांच के लिए जागरूक करें।

टीबी मुक्त पंचायत के लिए सोंवा और नंदन चयन :

इस दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आरबी प्रसाद ने बताया कि प्रखंड में टीबी मुक्त पंचायत पहल के लिए सोंवा और नंदन पंचायत का चयन किया गया है। जिसके तहत इन पंचायतों में लोगों को जागरूक करते हुए जांच में तेजी लाई जा रही है। वहीं, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स के माध्यम से टीबी के लक्षण वाले मरीजों का बलगम कलेक्ट कर जांच के लिए भेजा जा रहा है। साथ ही, एसटीएस और एसटीएलएस के जरिये मरीजों की निगरानी भी की जा रही है। इस पर सीडीओ डॉ. शालिग्राम पांडेय ने कहा कि एक हजार की जनसंख्या पर जब एक या इससे कम मरीज मिलने लगेंगे, तभी पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ पंचायत के अंतर्गत सभी सहयोगी संस्थानों के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाए। तभी अभियान को सफल बनाया जा सकेगा।

सभी पंचायतों पर करें फोकस :

डॉ. शालिग्राम पांडेय ने कहा कि जब तक आशा कार्यकर्ताओं कीह हड़ताल है, तब तक अन्य सहयोगी विभाग और संस्थानों के सहयोग से जागरूकता अभियान चलाए जाएं। इसमें आंगनबाड़ी केंद्रों और जीविका समूह से समन्वय स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत पहल का मुख्य उद्देश्य ग्राम पंचायतों के सहयोग से टीबी उन्मूलन की दिशा में कार्य करना है। जिसके तहत पंचायती राज संस्थाओं का सशक्तीकरण ताकि वे टीबी की समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ कर आकलन कर सकें। स्थानीय व्यवस्थानुसार समाधान की दिशा में आवश्यक कदम उठा सकें। पंचायतों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनें। जिससे टीबी को जल्द से जल्द समाप्त किया जा सके। उन्होंने सख्ती के साथ कहा कि टीबी मुक्त पंचायत पहल के तहत सभी पंचायतों को टीब मुक्त बनाना है। दो पंचायतों का चयन इसलिए किया गया है ताकि उसकी निगरानी की जा सके। इसलिए सभी पंचायतों पर समान फोकस करें। मौके पर डीपीसी कुमार गौरव, डीबीटी क्लर्क, बीएचएम अफरोज आलम समेत अन्य कर्मी मौजूद रहे।

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