कपड़े की झोली में महिला ने दिया नवजात शिशु का जन्म

भिवंडी।। ठाणे के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं होने से कई गांव आज भी सड़क, बिजली, शिक्षा, शौचालय व मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यही नहीं नागरिकों के पर्याप्त स्वास्थ्य की सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण छोटे छोटे गांवों में रहने वाले आदिवासियों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शाहपुर तालुका के पटकी पाडा गांव में सड़क ना होने के कारण एक गर्भवती महिला को उसके परिजनों ने कपड़े की झोली बनाकर अस्पताल ले जा रहे थे परन्तु अस्पताल पहुंचने के पहले ही महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। जिसके कारण महिला को खुले घने जंगल में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। हालांकि गांव वाले पिछले कई वर्षों से सड़क बनाने की मांग कर रहे थे। किन्तु शासन के अधिकारी व राजनेताओं द्वारा इनके मांगों को अनदेखा किया जा रहा था।

बतादें कि शाहपुर तालुका के पटकी पाडा परिसर अत्यंत दुर्लभ क्षेत्र है। बरसात के समय गांव की समस्या विकट हो जाती है पहाड़ियों से निकलने वाले छोटे छोटे नाले विकराल रूप धारण कर लेते है। जिसको पार करना जानलेवा साबित होता है। सड़क नहीं होने के कारण गांव वालों को अस्पताल तक जाने के लिए कपड़े की झोली का सहारा लेना पड़ता है। रविवार सुबह 11 बजे इसी गांव की रहने वाली गर्भवती महिला प्रणाली बाजे के पेट में दर्द शुरू हो जाता है। परन्तु सड़क ना होने आंगनवाडी साहयिका अनिता भवर की मदद से कपड़े की झोली से उसे कासारा स्थित अस्पताल लेकर जाया जा रहा था। इस दरमियान आदिवासी कई महिलाएं भी साथ में चल रही थी। लेकिन रास्ते में महिला को अधिक दर्द शुरू हो गया। जिसके कारण झोली के साथ चल रही महिलाओं ने घने जंगल में प्रसव करवाने का प्रयास किया। इस दरमियान महिला ने एक बच्चे का जन्म दिया। प्रसव के बाद उसके परिजनों ने नवजात शिशु व महिला को झोली में ही डालकर लगभग दो किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क पर पहुंचे। जहां पर कासारा अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेस की व्यवस्था की गई। किन्तु सरकारी एंबुलेस नहीं मिलने के कारण परिजनों ने उसे निजी वाहन कर किसी तरह कासारा अस्पताल पहुंचे। आशा कार्यकर्ता ने बताया कि मां व बच्चा दोनों सुरक्षित है और उनकी हालत स्थिर है। आजादी के 75 साल बाद भी राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के जिले के शाहपुर तालुका के कई गांवों में आज नागरिक मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। स्थानिकों ने दावा किया उनके गांव को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने तब गोद लिया था जब वह ठाणे जिले के पालकमंत्री थे। राज्य सरकार से करोड़ रुपये मिलने के बाद भी यह क्षेत्र अब भी विकास से कोसों दूर है। 

पूर्व में ऐसी घटित हुई है अनेक घटनाएं :

तालुका के दिघाशी गांव के धर्मीपाडा से मुख्य सड़क तक जाने के लिए कोई सड़क नहीं है। कुछ माह पहले एक आदिवासी गर्भवती महिला को इसी तरह अस्पताल ले जाते समय महिला ने जंगल में बच्चे को जन्म दिया था। इस दरमियान बच्चे की मौत हो गई थी। इसी तरह अनेक गांव ऐसे है जहां पर श्मशान घाट तक जाने के लिए पर्याप्त रास्ता नहीं होता। जिसके कारण शव को उठा कर श्मशान घाट तक पहुंचना पड़ता है।

रिपोर्टर

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