40 प्रतिशत से अधिक अपंगता होने पर हाथीपांव के मरीजों को मिलेगा दिव्यांगता सटिर्फिकेट

- प्रमाण पत्र की मदद से हाथीपांव मरीज ले सकेंगे योजनाओं का लाभ

- अब तक दर्जनभर मरीजों को मिल चुका है दिव्यांगता प्रमाणपत्र

बक्सर ।। स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाइलेरिया के हाथीपांव के मरीजों को दिव्यांगता की श्रेणी में शामिल कर सामाजिक सुरक्षा मुहैया करा रहा है। इसके लिए राज्य निशक्तता आयुक्त कौशल किशोर ने पूर्व में ही दिशा निर्देश जारी किए थे। जिसके बाद से जिले के दर्जनभर हाथीपांव के मरीजों का दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत किया जा चुका है। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि ऐसे कई मरीज जो हाथीपांव के गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, उनकी जांच कर उन्हें दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत किया जा रहा है। विभाग के निर्देशानुसार चालीस प्रतिशत से अधिक अपंगता मिलने पर हाथीपांव के मरीजों को यह दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है। दिव्यांगता का प्रतिशत फाइलेरिया की गंभीरता और शारीरिक क्रियाकलापों में असुविधा देख कर दिया जाता है। 

मरीज को करना होता है ऑनलाइन आवेदन : 

डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाने के पोर्टल swavlmbncord.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। मरीज साइबर कैफै या सुविधा केंद्रों में जाकर आवेदन कर सकते हैं। जिसके बाद यूनिक डिसेबिलिटी आइडेंटिटी (यूडीआईडी) कार्ड जेंनरेट होता है। साथ ही, उन्हें एक तिथि भी बताई जाती है। जिस दिन वो जिला कलेक्ट्रेट में गुरुवार के दिन मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ेगा। बोर्ड के सदस्य हाथीपांव के मरीजों की दिव्यांगता जांच करेंगे। 40 प्रतिशत व उससे अधिक अपंगता होने पर ही उन्हें दिव्यांग प्रमाण पत्र निर्गत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हाथीपांव के मरीज जिन्हें दिव्यांगता प्रमाण पत्र की मदद से राज्य तथा केंद्र सरकार द्वारा दिव्यांगों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ समान रूप से ले सकते हैं। इनमें रेलवे यात्रा के दौरान मिलने वाली छूट, विकलांगता पेंशन तथा अन्य प्रकार के लाभ शामिल हैं।

हाथीपांव होने पर उसे चोट या जख्म से बचाना जरूरी :

डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया, फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आता है। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। फाइलेरिया से बचाव के लिए समय समय पर सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है, जिसमें आशा कार्यकर्ता घर घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाते हैं। उन्होंने बताया फाइलेरिया के कारण हाथीपांव हो जाता है। हाथीपांव होने पर उसे चोट या जख्म से बचाना जरूरी है। इसके लिए एमएमडीपी किट दिया जाता है। हाथीपांव के पीड़ित लोग अपने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर चिकित्सक से इसकी देखभाल की जानकारी ले सकते हैं। हाथीपांव से ग्रसित लोगों के लिए एमएमडीपी किट दिये जाते हैं। किट में हाथीपांव की देखभाल तथा साफ सफाई करने के लिए आवश्यक दवाईयां तथा अन्य वस्तु होते हैं।

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