कालाजार के नए मरीजों की खोज शुरू, प्रभावित गांवों में आशा कार्यकर्ताएं करेंगी सर्वे

कालाजार खोजी अभियान को लेकर प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाकर किया गया रवाना

- 31 जनवरी तक प्रभावित गांवों में आशा कार्यकर्ताएं घर घर जाकर लेंगी जानकारी

आरा ।। कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में कालाजार के नए रोगियों की खोज के लिए सोमवार से अभियान की शुरुआत हो गई है। जिसको लेकर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने प्रचार रथ को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। उन्होंने इस दौरान बताया कि आशा कार्यकर्ताएं कालाजार प्रभावित गांवों में घर-घर जाकर सर्वे करेंगी और कालाजार के लक्षण वाले मरीजों को चिह्नित करते हुए उन्हें जांच के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सदर अस्पताल रेफर करेंगी। साथ ही, उन मरीजों की भी जांच की जायेगी जो पूर्व में कालाजार की बीमारी से ग्रसित रहे हो, क्योंकि कई मामलों में कालाजार के मरीजों के दोबारा से इस बीमारी से ग्रसित होने की संभावना रहती है। हालांकि, कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत विभाग की ओर से प्रभावित गांवों में साल में दो बार छिड़काव कराया जाता है। लेकिन उसके पूर्व कालाजार मरीजों के लिए खोजी अभियान चलाया जाता है। ताकि किसी भी स्तर पर चूक न हो सके।


2021 से 23 तक मिले मरीजों के आधार पर प्रभावित गांवों में चलाया जाएगा अभियान : 

डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, 2021 से लेकर 2023 तक प्रभावित गांवों में मिले कालाजार के नए मरीजों के आधार पर यह खोजी अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत आरा ग्रामीण में जमीरा, आरा शहरी में धरहरा वार्ड 35 व भलूंहीपुर वार्ड 33 तथा जगदीशपुर में सियारुंवा गांव में कालाजार के नए मरीजों की खोज की जाएगी। साथ ही, कालाजार के पूर्व मरीजों की भी जांच की जायेगी। उन्होंने बताया कि कालाजार और पीकेडीएल के लक्षणों की पहचान की जानकारी दी गई है। इस बीमारी में दो हफ्तों से ज्यादा बुखार रहता है। उन्होंने बताया कि कालाजार के संदिग्ध रोगी की खोज कर ससमय जांच एवं उपचार करवाना जरूरी है। कालाजार का प्रसार संक्रमित बालू मक्खी द्वारा होता है। यह परजीवी बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो परजीवी स्वस्थ व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाता है। इस प्रकार यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है।


त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना हो सकता है पीकेडीएल के लक्षण :  

वीबीडीसीओ अजीत कुमार पटेल ने बताया कि इस अभियान में कालाजार के छुपे हुए मरीजों को चिह्नित किया जायेगा। ताकि, उनका समय से इलाज शुरू किया जा सके। उन्होंने बताया कि 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। इस बीमारी के अन्य लक्षणों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं। जो पूर्व के कालाजार के मरीजों से अधिकांशतः पाया जाता है। इसलिए कालाजार से ठीक हो चुके मरीजों को भी जांच कराना अनिवार्य है। ताकि, उन्हें पीकेडीएल के प्रभाव से बचाया जा सके।l


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