विश्व कैंसर दिवस पर महिलाओं के बीच शिविर के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Feb 04, 2024
- 88 views
कैंसर मुक्त बिहार स्वस्थ एवं समृद्ध बिहार बनाने का संकल्प
बिहार ।। मगध कैंसर सेंटर द्वारा आई. एम. ए के साथ विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया | इस जागरूकता कार्यक्रम में बिहार के जाने माने डॉक्टर लोगों के बीच कैंसर के प्रति जागरूकता के बारे में बताया | डॉ राजीव रंजन ने विश्व कैंसर दिवस के महत्ता पर बोलते हुए कहा की दुनियाभर से लोग कैंसर की रोकथाम और इसके प्रसार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक साथ आते हैं | और साथ हीं उन लोगों को सहायता भी प्रदान करते हैं , जो इस घातक बीमारी से पीड़ित हैं | दुनियाभर में कैंसर के बढ़ते खतरे को लेकर लोगों को जागरूक और शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 4 फ़रवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है | कैंसर कई प्रकार के होगा सकते हैं , सभी उम्र के व्यक्तियों में इसका जोखिम देखा जा रहा है |
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जाने - माने सर्जन डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह ने एक सर्जन की नजर से इस कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में कहा की कैंसर का इलाज शुरूआती चरणों में सर्जरी और अन्य तरीको की मदद से किया जा सकता है, जिस वजह से इसकी जल्दी उपचार की सम्भावना भी बढ़ जाती है | हालांकि , इन सबके बाद भी कैंसर की वापस आने का खतरा हमेशा बना रहता है | सूक्ष्म कौशिकएँ छुप सकती है | ये कोशिकाएं समय के साथ बढ़ती रहती है और इन छोटे आकार के ट्यूमर्स का लिक्विड बायोपसी से पता लगाया जाता है | इस तरह , रिलैंप्स होने की जानकारी इन प्रक्रियाओं से मिलती है | कई बार कुछ लोगों में आनुवंशिकीय या मेटाबोलिक कारणों से भी ऐसा हो सकता है | हार्मोनल कारणों से भी मैलिग्नेसी बढ़ने का खतरा बढ़ता है | डॉ मंजूगीता मिश्रा गर्भाशय कैंसर पर बोलते हुए कहा की यह कैंसर आमतौर पर रजोनिवृति के बाद महिलाओं को प्रभावित करता है | यह आमतौर पर असामान्य योनि रक्तश्राव का कारण बनता है | इस कैंसर का निदान करने के लिए डॉक्टर विश्लेषण किए लाने वाले ऐंडमेट्रीएम (बैयोपसी ) से उत्तक का एक नमूना निकलते हैं | यह जानना महत्वपूर्ण है की इसका सबसे आम रूप ऐंडमेट्रीयल कैंसर - ईलाज योग्य है , खासकर अगर यह प्रारंभिक चरण में पकड़ा गया हो | गर्भशय कैंसर के लिए एक व्यापक शब्द है जो एक महिला के गर्भशय के अंदर विकसित हो सकता है | ओवरियन कैंसर महिलाओं में होने वाला एक खतरनाक कैंसर है , ये बीमारी शरीर में तब विकसित होती है जब ओवरी और फ़ैलॅपियन ट्यूब के आसपास असामान्य कोशिकाएं यानि सेल्स बढ़ने लगते हैं और धीरे - धीरे फैलने लगते हैं , ये प्रक्रिया एक कैंसर वाला ट्यूमर बनाती है , जो खतरनाक होने पर शरीर के बाकी अंगों में भी फ़ैल सकती है |
डॉ अलका पाण्डेय ने इस कार्यक्रम में सी ए सर्विक्स स्क्रीनिंग एवं प्रेवेंशन पर बोलते हुए कहा की सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए 20 साल से ज्यादा उम्र की सभी लड़कियों और महिलाओं को रेगुलर स्क्रीनिंग और वैकसीनेशन करना चाहिए एचपीवी वैक्सीनेशन सर्वाकल कैंसर से बचाता है | रेगुलर पैप स्पीयर से सर्विक्स में किसी भी असामान्य बदलाव का शुरू में हीं पता लगाया जा सकता है , जिससे जल्द से जल्द ट्रीटमेंट हो सकता है | सर्वाइकल स्क्रीनिंग टेस्ट में आपके गर्भशय ग्रिवा के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है | डॉक्टर या नर्स आपके गर्भशय ग्रिवा से एक स्लैब का इस्तेमाल करके जो पैप स्मियर जैसा होता है - एक छोटा सा सैंपल लेंगे और ह्यूमन पैपिलोमावाइरस (एच पी वी ) के लिए इसकी जाँच करेंगे | डॉ सुरेंद्र कुमार सिन्हा ने लोगों को जीवन को किस प्रकार अच्छे से जिया जाए एवं कैंसर से कैसे बचा जा सकता है इसके बारे में बताते हुए कहा की तम्बाकू का उपयोग , शराब का सेवन , अस्वास्थ्यकर आहार , शारीरिक निष्क्रियता और वायुप्रदूषण कैंसर और अन्य गैर - संचारी रोगों के जोखिम कारक हैं | अधिक वजन होने के नाते पर्याप्त व्यायाम न करना , विकिरण के संपर्क में आना | जाने माने सर्जन डॉ निर्मल कुमार सिन्हा ने इस कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में कहा की ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं को होने वाली सबसे सामान्य बीमारी है | यह कैंसर तब शुरू होता है जब कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर होने लगती है , स्तन कैंसर स्तन के कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोतरी होती है |स्तन कैंसर के सबसे आम - लक्षण है स्तन या बगल के क्षेत्र में गांठ | जिसे स्तन में एक गाढ़े टिश्यू के रूप में देखा जा सकता है |
इस कैंसर का लक्षण और उपाय - स्तन या बगल के भाग में लगातार दर्द होना , स्तन की त्वचा का लाल होना , स्तन में कठोर और दर्द रहित गांठ होना , एक या दोनों निप्पल्स पर दाने होना , स्तन के आकार में बदलाव होना , निप्पल से तरल डिस्चार्ज होना जिसमें ब्लड हो सकता है | निप्पल का उल्टा होना , स्तन या निप्पल में जलन या सिकुड़न होना| ब्रेस्ट में गांठ अगर आप महसूस करते हैं तो घबराएं नहीं , अधिकांश स्तन गांठ कैंसर नहीं होता है, हालांकि स्तन पर किसी भी तरह की गांठ नजर आने पर जाँच के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें | 20 और 30 वर्ष के उम्र में महिलाओं को हर एक से तीन साल में एक बार स्तन की जाँच करवानी चाहिए और 40 साल की उम्र के बाद , यह हर साल किया जाना चाहिए | जाने माने डॉक्टर प्रवीण कुमार शाही ने इस कार्यक्रम में लंग कैंसर के बारे में बताते हुए कहा की कैंसर दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख जोखिम करकों में से एक है , जिसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है | वैसे तो कैंसर का जोखिम शरीर के कई अंगों में हो सकता है , पर लंग्स यानि फेफड़ों के कैंसर के मामले पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ते हुए देखा जा रहा है | इस कैंसर के कारण 1.27 लाख से अधिक लोगों कई मौत हो गईं है | लंग्स कैंसर के जोखिम को देखते हुए लोगों में जागरूकता बढ़ाने और बचाव के उपायों को लेकर शिक्षित करने के उद्देश्य से नवंबर माह को लंग्स कैंसर अवैयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है | विशेषज्ञओं का मानना है की, जीवनशैली की दो आदतों को इस कैंसर का प्रमुख कारक माना जाता है , धूम्रपान , लंग्स कैंसर का प्रमुख कारण है , धूम्रपान के धुएँ के संपर्क में आना भी खतरनाक है , इससे बचने के लिए धूम्रपान बिल्कुल न करें , न हीं सेकंड हैंड धूम्रपान के संपर्क में आएं , फलों और सब्जियों से भरपूर आहार लें , सप्ताह में कम - से - कम 150 मिनट के व्यायाम का लक्ष्य रखें | डॉ अभिमन्यु अनंत ने सिर एवं गर्दन के कैंसर पर बोलते हुए कहा की यह कैंसर एक विस्तृत समूह है जिसमें मुँह ( ओरल कैविटी ) जीभ , गाल , थायराइड , पैरोटिड , टॉन्सिल , लैरिक्स ( वायस बॉक्स ) को प्रभावित करने वाले कैंसर शामिल है ये भारतीय आबादी को प्रभावित करने वाले सबसे आम प्रकार का कैंसर है | हेड एवं नेक कैंसर का लक्षण - भारी आवाज़ , निगलने में कठिनाई , इसके प्रमुख कारणों में तम्बाकू का सेवन , धूम्रपान , शराब का सेवन और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एच पी वी ) यानि एच पी वी संक्रमण है, हालांकि ऐसे कैंसर से बचा जा सकता है , जीवनशैली में सुधार और इस प्रकार के नशे की आदतों से ये कैंसर भी दूर बने रहते हैं | युवाओं को तम्बाकू सेवन , धूम्रपान और शराब के सेवन के दुशप्रभावों के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है | डॉ प्रभात रंजन ने कैंसर का प्रथम स्टेज में पता लगाना को अतिआवश्यक बताया | डॉ प्रभात ने कहा की कैंसर के आम लक्षण है वजन में कमी , बुखार , भूख में कमी , हड्डीयों में दर्द , खांसी या मुँह से खून आना, अगर किसी भी व्यक्ति को ये लक्षण दिखाई देते हैं , तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए | हालांकि कैंसर के कुछ सामान्य संकेत होते हैं - थकान , गांठ , वजन का घटना , त्वचा के रंग में परिवर्तन , आंत की आदतों में बदलाव , खांसी या सांस लेने में तकलीफ होना, निगलने में कठिनाई , लगातार अपच या बेचैनी का होना | डॉ विजय शंकर ने आंतो के कैंसर के बारे में बताया की इस कैंसर से आमतौर पर पाचन तंत्र में लक्षण पैदा नहीं होते , लेकिन खून का रिसाव हो सकता है , दस्त और इंटरसेप्शन प्रभावित हिस्से आंत में रूकावट पैदा करते हैं | सभी छोटी आंत के ट्यूमर में से लगभग 64% घातक होते हैं , और इनमें से लगभग 40% ट्यूमर ऐदेनोकारसिंनोमा होते हैं | छोटी आंत के ट्यूमर दुर्लभ हैं, वे आमतौर पर एकल होते हैं , लेकिन विशेष रूप से कुछ सिंड्राम में एकाधिक भी हो सकते हैं |
वहीं डॉ मृत्युंजय कुमार ने कहा की कैंसर अगर चौथे स्टेज में पता चलता है तो भी मरीज को पूर्णतः ठीक तो नहीं किया जा सकता लेकिन उसके जीवन को दवा के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है | अंत में मगध कैंसर सेंटर के डायरेक्टर एवं बिहार हीं नहीं देश के जाने - माने मेडिकल ऑनकोलोजिस्ट डॉ रिदु कुमार शर्मा ने कहा की कैंसर शरीर में होने वाली एक असामान्य और खतरनाक स्थिति है | कैंसर तब होता है , जब शरीर में कोशिकाएं असामान्य रूप में बढ़ने और विभाजित होने लगती है | हमारा शरीर खरबों कोशिकाओं से बना है , स्वस्थ कोशिकाएं शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार बढ़ती और विभाजित होती है | डॉ शर्मा ने कहा की कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है , इसे बिल्कुल सही किया जा सकता है , लेकिन इसके लिए प्रारम्भ में हीं इसकी पहचान करनी होगी | प्रथम स्टेज में को पूर्णतया ठीक किया जा सकता है, इसलिए लोगों को जागरूक होना जरूरी है तभी कैंसर मुक्त बिहार का सपना साकार होगा | इसमें मीडिया की भूमिका अहम है, जन - जन तक पहुंचाने का काम अगर मीडिया ईमानदारी से करे तो कैंसर मुक्त बिहार का सपना साकार हो सकता है क्योंकि जानकारी हीं कैंसर से बचाव है | " कैंसर मुक्त बिहार " स्वस्थ बिहार , एवं समृद्ध बिहार |
रिपोर्टर