आंखों में दर्द होने और धुंधला नजर आने पर न करें नजरअंदाज : सिविल सर्जन

- विश्व ग्लूकोमा सप्ताह के तहत लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ हुई आयोजित

- ग्लूकोमा से बचाव के लिए समय समय पर आंखों की जांच कराने की दी गई सलाह

बक्सर ।।  विश्व ग्लूकोमा सप्ताह के समापन पर बीते दिन जिले में ग्लूकोमा से संबंधित जागरूकता, परामर्श व चिकित्सकीय शिविर तथा रैली का आयोजन किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य ऑप्टिक तंत्रिका परीक्षण सहित नियमित आंखों की जांच के लिए लोगों को प्रोत्साहित करके ग्लूकोमा द्वारा होने वाले अंधेपन को समाप्त को करना है। जिला अंधापन नियंत्रण इकाई, बक्सर के तत्वावधान में आयोजित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों को ग्लूकोमा के दुष्प्रभावों, बचाव और इलाज के प्रति जागरूक किया गया। चिकित्सकों के अनुसार आंखों के लिए गंभीर खतरा बन रही बीमारी ग्लूकोमा हमें अंधा भी बना सकती है। इसलिए इस बीमारी को समय पर पहचाना जाना बेहद जरूरी है। इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना बड़ी भूल हो सकती है।

जिला सिविल सर्जन डॉ. सुरेश कुमार सिन्हा ने बताया कि इस समस्या के दौरान आंखों में तरल पदार्थ का दबाव बढ़ जाता है। शुरुआती अवस्था में न तो इस बीमारी के कोई लक्षण प्रकट होते हैं और न ही कोई संकेत। पल-पल की देरी मरीज को उसकी दृष्टि से दूर करती चली जाती है। उन्होंने बताया कि हम जरा सी लापरवाही से बीमारी गिरफ्त में चले जाते हैं। इसलिए आंखों के मामले में लापरवाही न बरतें आंखों की जांच कराएं। उन्होंने बताया कि धुंधला नजर आना, आंखों में तेज दर्द होने पर इसे नजरअंदाज न करें।

जिला अंधापन नियंत्रण इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष सह अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि ग्लूकोमा को आम भाषा में काला मोतिया भी कहते हैं। यह रोग ऑप्टिक तंत्रिका (दृष्टि के लिए उत्तरदायी तंत्रिका) में गंभीर एवं निरंतर क्षति करते हुए धीरे-धीरे दृष्टि को समाप्त कर देता है। यदि इस रोग का उपचार न किया जाए तो व्यक्ति अंधा भी हो सकता है। अन्य महत्वपूर्ण कारकों में से एक कारक आंखों के दबाव का बढ़ना है, लेकिन किसी व्यक्ति में आंख का सामान्य दबाव रहने पर भी मोतियाबिंद विकसित हो सकता है। काला मोतिया की पहचान यदि प्रारंभिक चरणों में कर ली जाए तो दृष्टि को कमजोर पड़ने से रोका जा सकता है। ऐसे में नियमित जांच कराएं और आंखों में होने वाले किसी भी नए बदलाव या लक्षण पर ध्यान दें।

इस कारण से होता है यह रोग

- आंख में उच्च आंतरिक दबाव (इन्ट्राओक्यूलर प्रेशर)

- साठ वर्ष की उम्र से ऊपर

- पारिवारिक इतिहास

- कुछ निश्चित चिकित्सीय स्थितियां जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और सिकल सेल एनीमिया

- आंख की निश्चित स्थितियां जैसे कि मायोपिआ या दूर तक न देख सकना

- कुछ निश्चित प्रकार की नेत्र शल्य चिकित्सा

- लंबे समय के लिए काट स्टेरॉयड दवाएं जैसे कि विशेष रूप से आई ड्राप का उपयोग करना

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