आदर्श आचार संहिता के आड़ में अधिकारी बनवा रहे है अवैध इमारतें

पालिका के राजस्व में लाखों रूपये का नुकसान

भिवंडी।। भिवंडी महानगर पालिका सीमा क्षेत्र के प्रभाग समिति क्रमांक एक अंर्तगत चांविद्रा व नागांव डंपिंग ग्राउंड के पास वन विभाग की जमीन पर पालिका अधिकारियों द्वारा खुद अवैध निर्माण करवाने का मामला प्रकाश में आया है। संबंधित अधिकारियों को इस अवैध निर्माण की जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई से वंचित रखा है। पिछले पांच महीने से डंपिंग ग्राउंड के पास चल रहे इस अवैध निर्माण को लेकर पालिका प्रशासन पूरी तरह बेसुद्ध होकर सोई हुई थी। हलांकि एक समाजिक कार्यकर्ता ने इस इमारत के अवैध बांधकाम को लेकर प्रभाग कार्यालय में शिकायत भी दर्ज कराया है। इसके बावजूद निर्माणाधीन अवैध इमारत पर कार्रवाई ना होना पालिका अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह निर्माण करता है। 

शहर के सामाजिक व दक्ष नागरिकों ने आरोप लगाया है कि शहर में आदर्श आचार संहिता लागू है। कार्यालयों से अधिकारी व कर्मचारी नदारद रहते हैं। अधिकारियों के बारे में पूछने पर उपस्थित सिपाही दर्जे के कर्मचारियों द्वारा रटा रटाया जवाब मिलता है कि साहेब मीटिंग में गये हुए है। एरिया में है। वसूली करने गये है। चुनावी ड्यूटी अथवा टैक्स वसूली का बहाना बताकर पालिका अधिकारी ऐसे अवैध इमारतों का संरक्षण कर रहे है। 

पालिका के प्रभाग समिति क्रमांक एक अंर्तगत डंपिंग ग्राउड के पास सर्वे नंबर 132/8 जो सरकारी भूखंड है। इस भूखंड पर कुछ माह पूर्व कब्जा कर स्थानीय बिल्डर ने दों मंजिला अवैध इमारत का निर्माण कार्य  शुरू किया था। देखते देखते जिसका  निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है। पांच से छह महिना में बनी इस इमारत में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है, स्थानिकों की माने इस अवैध इमारत में स्कूल खोला जायेगा। जिसमें छोटे छोटे बच्चे शिक्षा ग्रहण करेंगे। तज्ञ इंजिनियरों के अनुसार निर्माण ना होना और घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर बनाई गई यह इमारत कभी भी धराशायी हो सकती है। जिसके कारण बड़ा हादसा होने से इनकार नही किया जा सकता है।  

पालिका सुत्रों की माने उक्त जमीन पर इमारत बनाने  संबंधी किसी प्रकार की अनुमति पालिका प्रशासन ने नहीं दी है।जमीन मालिक व बिल्डर ने पालिका के भष्ट्र अधिकारियों से सांठगांठ कर इमारत का निर्माण कार्य किया है। जिसके कारण पालिका के राजस्व उत्पन्न में लगभग 50 लाख का आर्थिक नुकसान पहुंचा है। इस प्रभाग समिति में बांधकाम व्यवसायियों से वसूली करने के लिए कई कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। वही पर बीट निरीक्षक पद पर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी की नियुक्ति होने से दफ्तर के कामकाज पर भी असर पड़ता है हालांकि बीट निरीक्षक पद बिल्डिंग कम इंस्पेक्टर डिप्लोमा डिग्री धारक कर्मचारियों की नियुक्ति होनी चाहिए। जिन्हें तांत्रिक जानकारी का ज्ञान होता है। परन्तु  इस पद पर चतुर्थ दर्जे के कर्मचारी की नियुक्ति होना पालिका के बड़े अधिकारियों के कार्य शैली पर भी प्रश्नचिह्न निर्माण करता है।

रिपोर्टर

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